नई दिल्ली। कोरोनो वायरस महामारी से कई क्षेत्र प्रभावित हुए हैं लेकिन कृषि का क्षेत्र एकमात्र सकारात्त्मक संकेत देने वाला क्षेत्र बना हुआ है। कृषि में वर्ष 2020-21 के दौरान 2.5 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। क्रिसिल रिसर्च की रिपोर्ट में ये अनुमान दिया गया है। हालांकि इस रिपोर्ट में कुछ जोखिमों की भी बात की गई है। जिसमें अहम हैं टिड्डियों के हमले की संभावना और बागवानी उत्पादों पर लॉकडाउन का प्रभाव। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी और उसके बाद लॉकडाउन के कारण, खाद्यान्नों की तुलना में बागवानी उपज की मांग अधिक प्रभावित होने की संभावना है।
दरअसल खाद्यान्नों के लिए, सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खरीद का समर्थन है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने 14 खरीफ फसलों के लिए एमएसपी बढ़ोतरी की घोषणा की है, जिससे किसानों को उनके उत्पादन लागत पर 50-83 प्रतिशत लाभ मिलने का आश्वासन दिया गया है। वहीं दूसरी तरफ बागवानी उत्पाद जल्दी खराब होने वाले होते है। मंडियों में इनकी आवक में भारी कमी होने के बावजूद अप्रैल में इनके थोक कीमतों में गिरावट आई। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई बिक्री न होने की वजह से बागवानी उत्पादों की खड़ी फसलें की कटाई नहीं हुईं और अब उनपर टिड्डी हमलों का असर देखने को मिल रहा है। इसी तरह, धार्मिक स्थल बंद होने तथा शादी समारोह आदि को टाले जाने के कारण फूलों की भी मांग में गिरावट देखने को मिली है।
वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि सौभाग्य से, लॉकडाउन के बावजूद दूध की घरेलू खपत काफी हद तक स्थिर रही है। वहीं होटल और रेस्तरां क्षेत्रों से मांग, जो कुल दूध की खपत में 15-20 प्रतिशत का योगदान करती है, एकदम लड़खड़ा गई है, लेकिन उम्मीद है कि लॉकडाउन हटाने के बाद धीरे-धीरे इसमें सुधार होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्तवर्ष में कृषि और संबद्ध गतिविधियों में वृद्धि, सामान्य मानसून रहने के साथ खाद्यान्नों की भारी पैदावार पर टिका है। जल्दी खराब होने के गुण के कारण बागवानी फसलों को कुछ नुकसान की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।