नई दिल्ली। किसानों को उनकी उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्राप्त हो यह सुनिश्चित करने के लिए कृषि मंत्रालय एक नई नीति पर मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए शीघ्र ही कैबिनेट नोट जारी करेगा। यह नीति धान एवं गेहूं के अलावा अन्य फसलों की खरीद करने वाली सार्वजनिक कंपनियों के साथ ही निजी कंपनियों को भी इसमें शामिल करने के लक्ष्य के साथ तैयार की जा रही है। प्रस्तावित नीति का उद्देश्य खरीद प्रक्रिया की दक्षता एवं प्रतिक्रिया की गति को ऐसे मामलों में बेहतर करना है जब फसलों का बाजार मूल्य एमएसपी से नीचे गिर जाता है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बनाए गए अनौपचारिक मंत्रिमंडलीय समूह तथा राज्य सरकारों के साथ परामर्श के बाद कृषि मंत्रालय ने मामले में तीन मॉडल का प्रस्ताव किया है । इनमें बाजार आश्वासन योजना, मूल्य कमी खरीद योजना और निजी खरीद एवं भंडारण योजना शामिल हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि कृषि मंत्रालय इस बारे में कैबिनेट नोट तैयार कर रहा है। नीति का उद्देश्य राज्यों को यह आजादी देना है कि वे इन तीनों में से किसी भी एक खरीद मॉडल पर अमल करें।
अधिकारी ने कहा कि वैसे राज्य जो स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से सार्वजनिक कंपनी या सरकार द्वारा प्राधिकृत किसी निजी कंपनी के जरिए बाजार में खरीद शुरू करने के बारे में त्वरित निर्णय ले सकते हैं, वे बाजार आश्वासन योजना पर अमल करेंगे। इसके तहत राज्य सरकारें खरीद एवं भुगतान के लिए जिम्मेदार होंगी। वे इसके लिए अलग कोष बनाएंगी तथा ढुलाई की सारी व्यवस्था करेंगी। इस योजना के तहत संचालन में यदि कोई नुकसान होता है तो केंद्र सरकार 30-40 प्रतिशत तक की भरपाई करेगी।
मूल्य कमी खरीद योजना मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई भावांतर भुगतान योजना की तरह है। इसके तहत यदि बाजार मूल्य एमएसपी से कम हुआ तो किसानों को इसकी भरपाई के लिए मुआवजा दिया जाएगा।
तीसरे मॉडल के तहत मंत्रालय ने एक पारदर्शी ऑनलाइन बाजार प्लेटफॉर्म के जरिए एमएसपी से जुड़ी खरीद प्रक्रिया में निजी क्षेत्रों को शामिल करने का प्रस्ताव किया है। किसी कृषि उपज का बाजार मूल्य एमएसपी से नीचे जाने की स्थिति में राज्य सरकार कृषि उत्पादों की खरीद के लिए निविदा के जरिए निजी कंपनियों को प्राधिकृत कर सकती हैं। ऐसी खरीद करने वाली निजी कंपनियों को इसके लिए कर में छूट तथा कमीशन दिया जाएगा।