नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से लागू हुए लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है और रिजर्व बैंक ने यहां तक कह दिया है कि इस साल भारत की जीडीपी ग्रोथ शून्य के नीचे भी खिसक सकती है। अर्थव्यवस्था को चलाने वाले तमाम सेक्टर पिटे हुए हैं और भारतीय रिजर्व बैंक को सिर्फ कृषि सेक्टर से उम्मीद बची है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था में सिर्फ कृषि सेक्टर से उम्मीद की किरण दिख रही है।
रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कृषि पर उम्मीद टिकी हुई है क्योंकि इस साल खरीफ फसलों की अबतक हुई खेती पिछले साल के मुकाबले 43.5 प्रतिशत ज्यादा है और रबी सीजन में भी अच्छी पैदावार हुई है जिस वजह से फसल खरीद रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा है कि हाल के दिनों में खरीफ धान, खरीफ दलहन और खरीफ तिलहन की खेती में बढ़ोतरी हुई है।
मुद्रास्फीति के अनुमान बेहद अनिश्चित: आरबीआई गवर्नर दास
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण बेहद अनिश्चित है और दालों की बढ़ी कीमतें चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि कीमतों में नरमी लाने के लिए आयात शुल्क की समीक्षा करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रमुख मुद्रास्फीति की दर स्थिर रह सकती है और दूसरी छमाही में इसमें कमी आ सकती है। उनके मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी या चौथी तिमाही में मु्द्रास्फीति की दर चार प्रतिशत से नीचे आ सकती है। इसके अलावा दास ने कहा कि महामारी के बीच आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने से सरकार का राजस्व बहुत अधिक प्रभावित हुआ है।