नई दिल्ली। समायोजित सकल आय (एजीआर) पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद बकाया सांविधिक देनदारियों के लिए भारी खर्च के प्रावधान के चलते वोडाफोन आइडिया ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 50,921 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया है।
कंपनी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने जा रही है। कंपनी ने यह भी कहा है कि उसका कारोबार चल पाना सरकार की ओर से राहत और कानूनी मसलों के सकारात्मक समाधान पर निर्भर करेगा।
कंपनी ने एक बयान में कहा एजीआर पर न्यायालय के फैसले का दूरसंचार उद्योग की वित्तीय स्थिति पर बड़े प्रभाव पड़ेंगे। सितंबर 2019 को समाप्त तिमाही में कंपनी ने कुल 50,921 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दिखाया है। पिछले वित्त वर्ष इसी अवधि में कंपनी को 4,874 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। आलोच्य तिमाही में कंपनी की आय 42 प्रतिशत बढ़कर 11,146.4 करोड़ रुपये रही है।
अनुमान है कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद कंपनी को सरकार की बकाया देनदारियों के लिए 44,150 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। कंपनी ने 2019-20 की दूसरी तिमाही में इसके लिए 25,680 करोड़ रुपये का भारी भरकम प्रावधान किया है।
एजीआर पर न्यायालय के फैसले के बाद वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और अन्य दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर सरकार की कुल 1.4 लाख करोड़ रुपये की पुरानी सांविधिक देनदारी बनती है। इसके चलते पूरे दूरसंचार उद्योग में घबराह का माहौल है। रिलायंस जियो के बाजार में प्रवेश करने के बाद से दूरसंचार कंपनियां वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं और उन पर अरबों डॉलर का कर्ज बकाया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने न्यायालय ने एजीआर की सरकार द्वारा तय परिभाषा को सही माना था। इसके तहत कंपनियों की दूरसंचार सेवाओं के इतर कारोबार से प्राप्त आय को भी उनकी समायोजित सकल आय का हिस्सा मान लिया गया है। इसके चलते कंपनियों पर स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क और राजस्व में सरकार की हिस्सेदारी जैसी मदों में देनदारी अचानक बढ़ गयी है।
दूरसंचार विभाग के नवीनतम आकलन के मुताबिक भारती एयरटेल पर सरकार का पुराना सांविधिक बकाया 62,187 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया पर 54,184 करोड़ रुपये बनता है। बीएसएनएल/एमटीएनएल पर भी ऐसी देनदारी का बोझ पड़ा है। एयरटेल पर ऐसे बकाए में टाटा समूह की दूरसंचार कंपनियों और टेलीनॉर इंडिया का बकाया भी शामिल है क्यों कि उसने उनके स्पेक्ट्रम का अधिग्रहण कर रखा है।