नई दिल्ली। अमेरिका, ईरान और ऑस्ट्रेलिया को आमों के निर्यात में सफलता हासिल करने के बाद भारत ने अपनी निगाहें जापान और दक्षिण कोरिया के बाजारों पर लगा दी हैं, जहां व्यापक संभावनाएं हैं लेकिन जिन्हें अभी खंगाला नहीं गया है। एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) के चेयरमैन डी के सिंह ने यह बात कही है।
सिंह ने कहा कि,
दरअसल, थाईलैंड के आमों का उपभोग मुख्य रूप से चीन समेत तमाम पूर्वी देशों में हो रहा है। हमने पाया है कि उन्हें फाइबर वाला आम अधिक पसंद नहीं है। इसलिए हमने इन देशों के लिए कम फाइबर वाले आमों की प्रजातियों को बढ़ावा देने का फैसला किया है।
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एपीईडीए के चेयरमैन ने कहा कि उम्मीद है कि जापान इस साल अच्छी मात्रा में आमों का आयात करेगा और अगर दक्षिण कोरिया भी भारतीय प्रजातियों को पसंद करता है, तो फिर इससे सुदूर पूर्व और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का बाजार खुल जाएगा। इसके लिए एपीईडीए ने इस इलाके में प्रचारात्मक गतिविधियों के आयोजन की योजना बनाई है।
सिंह ने बताया कि भारतीय दूतावास ने दक्षिण कोरिया की सरकार से अनुरोध किया है कि वह दस निर्यातकों को हमारी प्रजातियों के बारे में जानकारी देने और उनका प्रचार करने की अनुमति दे। हमें उम्मीद है कि जापान और दक्षिण कोरिया में सफलता हमें बाजार में खुद को स्थापित करने में मदद देगी।
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एपीईडीए के डाटा के मुताबिक, जापान ने अप्रैल 2016 से जनवरी 2017 के बीच 48 टन भारतीय आम का आयात किया था। जबकि, दक्षिण कोरिया ने महज 0.26 टन ही आयात किया। एपीईडीए के उप महाप्रबंधक सुधांशु ने कहा कि आम की दो खेप – एक मुंबई से और एक तिरुपति से, जापान के लिए भेजी गई है और दक्षिण कोरिया का एक अधिकारी सुविधाओं की जानकारी लेने के लिए मुंबई स्थित आम प्रसंस्करण केंद्र पहुंचा हुआ है।
उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में मुंबई स्थित इरीडिएशन (जिसके जरिए फल को उपभोग करने वाले के लिए सुरक्षित बनाया जाता है) फैसिलिटी पर संतोष जताया है। अमेरिका इस साल पहले से ही 150 टन आम भारत से मंगा चुका है और इसके अभी जारी रहने की उम्मीद है। ईरान ने भी भारतीय आमों, विशेषकर उत्तर भारतीय आमों में रुचि दिखाई है। एपीईडीए अधिकारियों ने बताया कि ईरानी जांचकर्ताओं का एक दल अगले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश के मलीहाबाद का दौरा कर वहां होने वाले आमों की प्रजातियों की जांच करने वाला है।