नई दिल्ली। ग्लोबल करेंसी मार्केट में येन अगले साल डॉलर को पछाड़ स्टार परफॉर्मर बन सकता है। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी मॉर्गन स्टेनली के अनुसार 2016 के अंत तक एक डॉलर के 115 येन तक आने की संभावना है, जो कि वर्तमान में 123 के आसपास है। मॉर्गन स्टेनली ने यह रिपोर्ट ऐसे में समय में जारी की है, जब डॉलर की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। ऐसे में भारत पर दोहरी मार पड़ना तय है। हम अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए जापान से बड़े पैमाने पर ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट इंपोर्ट करते हैं। येन के मजबूत होने से इंपोर्ट महंगा हो जाएगा। इसका असर प्रोडक्ट की कॉस्ट पर पड़ना लाजमी है, जिसकी वजह से भारत में इससे संबंधित सभी सेवाएं और उत्पाद भी महंगे हो जाएंगे।
भारत पर पड़ेगी दोहरी मार
केडिया कमोडिटी के एमडी अजय केडिया ने बताया कि प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर इंडेक्स 110 के स्तर तक पहुंच सकता है। ऐसे में येन अगर मजबूत होता है तो भारत में इंपोर्ट होने वाली सभी चीजें महंगी हो जाएंगी। केडिया ने कहा कि एक्सपोर्ट के मुकाबले जापान से हम इंपोर्ट ज्यादा करते हैं। ऐसे में येन इंपोर्ट बिल को बढ़ा सकता है। फिलहाल एक येन को खरीदने के लिए हमें करीब 54 पैसे का भुगतान करना पड़ता है। हालांकि, केडिया का कहना है कि अमेरिका से मिल रहे संकेतों को देख कर येन में मजबूती की संभावना कम है।
डॉलर नहीं येन का बढ़ेगा दबदबा
मॉर्गन स्टेनली के हेड (यूरोपीयन फॉरेन एक्सचेंज स्ट्रेटेजी) इयान स्टैनर्ड ने कहा कि 10 करेंसी के ग्रुप में येन सबसे कमजोर है। उन्होंने कहा कि येन बाजार के अनुमान से काफी बेहतर प्रदर्शन करेगा। स्टैनर्ड के मुताबिक जापानी पेंशन फंड का पैसा वापस देश में लौट रहा है। इसके अलावा जापान की आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार आया है। मॉर्गन स्टेनली अगले साल के लिए निवेशकों को ब्रिटिश पाउंड, स्विस फ्रेंक, दक्षिण कोरियाई वोन और चीनी युआन के मुकाबले येन खरीदने की सलाह दे रहा है। अप्रैल 2013 में बैंक ऑफ जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए राहत पैकेज की शुरुआत की थी, तब से अब तक डॉलर के मुकाबले येन 20 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है। बैंक ऑफ जापान के अनुसार कमजोर करेंसी एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने में मददगार होगी।
अगर येन हुआ मजबूत, तो महंगे हो जाएंगे ये सामान
भारत बड़े पैमाने पर जापान से ऑटो पार्ट्स, ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स, हैवी मशीन, टॉयज, गेमिंग सिस्टम, दवा और बायोटेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स इत्यादि इंपोर्ट करता है। ऐसे में अगर जापान की करेंसी महंगी होती है, तो इन सभी समानों का इंपोर्ट भी महंगा हो जाएगा।