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प्याज-टमाटर के बाद अब लहसुन ने महंगाई में लगाया तड़का, 300 रुपए प्रति किलो पहुंचा भाव

प्याज, टमाटर के बाद अब लहसुन के बढ़ते दामों ने भी भोजन का जायका बिगाड़ दिया है। प्याज और टमाटर की महंगाई पर अब लहसुन का तड़का लगा है।

Reported by: IANS
Published on: October 13, 2019 17:22 IST
garlic price hike in Market - India TV Paisa

garlic price hike in Market 

नई दिल्ली। प्याज, टमाटर के बाद अब लहसुन के बढ़ते दामों ने भी भोजन का जायका बिगाड़ दिया है। प्याज और टमाटर की महंगाई पर अब लहसुन का तड़का लगा है। पिछले एक महीने में लहसुन का दाम तकरीबन 40 फीसदी उछला है, जबकि देश में इस साल लहसुन का उत्पादन पिछले साल से 76 फीसदी अधिक रहा है। 

प्याज और टमाटर की महंगाई से परेशान लोगों को अब लहसुन के लिए भी बड़े दाम चुकाने पड़ेंगे। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दुकानों पर लहसुन 300 रुपए किलो तक बिक रहा है। हालांकि लहसुन के थोक भाव में बीते दो सप्ताह में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन रिटेल में लहुसन 250-300 रुपए प्रति किलो मिलने लगा है, जो कि दो सप्ताह पहले 150-200 रुपए प्रति किलो था।

देश में इस साल लहसुन का उत्पादन पिछले साल से 76 फीसदी अधिक रहने के बावजूद इसके दाम में बेहताशा वृद्धि हुई है। देश की प्रमुख लहसुन मंडी मध्यप्रदेश के नीमच, मंदसौर और राजस्थान के कोटा के कारोबारियों ने बताया कि बारिश के कारण स्टॉक में रखा लहुसन खराब हो जाने से सप्लाई का टोटा पड़ गया है, जिससे कीमतों में इजाफा हुआ है।

देश की राजधानी दिल्ली में मदर डेयरी के बूथ पर लहसुन 300 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। जबकि दिल्ली-एनसीआर में सब्जी की दुकानों पर लहसुन 250-300 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। लहसुन के प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान और मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य हिस्सों में भी रिटेल में भाव 200 रुपए किलो से ज्यादा ही है। हालांकि नीचम मंडी में लहसुन का थोक भाव बीते 30 सितंबर को जितना था, तकरीबन उसी भाव पर बीते शनिवार को लहुसन बिका।

नीमच में शनिवार को विभिन्न क्वालिटी के लहसुन का भाव 8,000-17000 रुपए क्विंटल था। कारोबारी सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, स्पेशल क्वालिटी का लहसुन हालांकि 21,700 रुपये प्रति कुंटल तक बिका। कोटा में लहसुन का थोक भाव 7,000-17,500 रुपए प्रति क्विंटल था।

नीमच के कारोबारी पीयूष गोयल ने बताया कि आवक काफी घट गई, क्योंकि जिनके पास लहसुन है, वे भाव और बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस समय लहसुन की आवक 4,000-5,000 बोरी (एक बोरी में 50 किलो) है, जबकि पीक आवक के सीजन के दौरान नीमच में लहसुन की आवक 20,000 बोरी से ज्यादा रहती है।

गोयल ने बताया कि भाव बढ़ने का एक कारण यह भी है कि मानसून सीजन के आखिर में हुई बारिश से बुवाई में देर हो जाएगी, जिससे नई फसल आने में भी देर होगी। उन्होंने बताया कि रिटेल कारोबारी वहां भी लहसुन 200 रुपए किलो से अधिक दाम पर बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर आवक इसी तरह घटती रही तो आने वाले दिनों में दाम में और इजाफा हो सकता है।

कोटा के कारोबारी उत्तमचंद ने बताया कि बारिश के मौसम में किसानों के पास रखा लहसुन नमी के कारण खराब हो गया है, जिसके कारण स्टॉक की भी कमी है, जिससे कीमतों में वृद्धि हुई है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी वाणिकी फसलों के तीसरे अग्रिम उत्पादन के अनुसार, 2018-19 में 28.36 लाख टन लहसुन का उत्पादन है, जबकि पिछले साल 16.11 लाख टन था। इस प्रकार, पिछले साल के मुकाबले इस साल लहसुन का उत्पादन 76 फीसदी अधिक है। भारत लहसुन के प्रमुख उत्पादक देशों में है, जबकि चीन दुनिया का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक है।

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