नई दिल्ली। मैगी नूडल्स के बाद नेस्ले को उसके पास्ता को लेकर नया झटका लग सकता है। उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला में कंपनी के पास्ता उत्पाद के नमूनों में लेड की मात्रा दोगुनी से ज्यादा पाई गई है। नेस्ले इंडिया ने इस मामले पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जिला अभिहित अधिकारी अरविन्द यादव ने शुक्रवार को बताया कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने गत 10 जून को नेस्ले के एक स्थानीय उत्पाद वितरक श्रीजी ट्रेडर्स के यहां से पास्ता के नमूने लिए थे, जिन्हें जांच के लिए लखनऊ स्थित राजकीय खाद्य विश्लेषक प्रयोगशाला में भेजा गया था। अधिकारी के अनुसार दो सितंबर को आई रिपोर्ट में इन उत्पादों के नमूने जांच में असफल रहे। इनमें लेड की मात्रा छह पीपीएम पाई गई, जबकि 2.5 पीपीएम की अनुमति है। वहीं, नेस्ले इंडिया ने इसके जबाव में कहा कि हमारा प्रोडक्ट खाने लिए सुरक्षित है।
सरकार ने कहा असुरक्षित है प्रोडक्ट
यादव ने बताया कि इस संबंध में नेस्ले इंडिया लिमिटेड को मोदीनगर के पते पर एक पत्र भेजा गया था, जो बिना पावती के वापस आ गया। उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में जिला खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने नेस्ले इंडिया को पत्र भेजकर जांच रिपोर्ट के खिलाफ अपील के लिए एक महीने का समय दिया था, लेकिन कंपनी ने पत्र प्राप्त नहीं किया और यह वापस लौट आया। अधिकारी ने कहा, इस रिपोर्ट के आधार पर यह खाद्य उत्पाद अब असुरक्षित खाद्य उत्पाद की श्रेणी में आ गया है।
कंपनी ने कहा खाने लिए सुरक्षित है पास्ता
नेस्ले इंडिया ने अपने बयान में कहा, “मैगी पास्ता” 100 फीसदी सुरक्षित है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सरकार ने दावा किया है कि हमारे प्रोडक्ट में लेड की मात्रा अनुमति से ज्यादा है, हम इसकी जांच कर रहे हैं। कंपनी ने कहा कि इन रिपोर्टों की वजह से भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। मैगी पास्ता खाने कि लिए सुरक्षित है।
सरकार चलाएगी कंपनी पर मुकदमा
उन्होंने कहा इस संबंध में खाद्य सुरक्षा आयुक्त लखनऊ को मुकदमे की सिफारिश के लिए रिपोर्ट भेजी गई है। सिफारिश मिलने पर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी की अदालत में मुकदमा दायर किया जाएगा। एक सवाल पर अधिकारी ने कहा कि इससे नेस्ले पास्ता की बिक्री पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि इस साल मई-जून में नेस्ले के मशहूर उत्पाद मैगी के मसाले में अनुमति योग्य मात्रा से ज्यादा लेड तथा स्वास्थ्य के लिये अन्य हानिकारक तत्व पाए जाने पर उसकी बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई थी। इससे कंपनी को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। हाल ही में देशभर में मैगी की पुन: बिक्री शुरू की गई है।