नई दिल्ली। देश में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) नामक नई इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था लागू करने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार अब दशकों पुरानी डायरेक्ट टैक्स व्यवस्था को बदलने जा रही है। देश की समकालीन आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से नए डायरेक्ट टैक्स कानून का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है। 6 सदस्यीय यह टास्क फोर्स अगले 6 महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौपेंगा। डायरेक्ट टैक्स में इनकम टैक्स, कॉरपोरेशन टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, उत्तराधिकार टैक्स और गिफ्ट टैक्स आदि आते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इनकम टैक्स कानून, 1961 को 50 साल पुराना और इसे दोबारा बनाने की जरूरत के बारे में कहने के बाद वित्त मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को ट्वीटर के जरिये टास्क फोर्स के गठन संबंधी जानकारी दी। जानकारों का कहना है कि जीएसटी की तरह ही इनकम टैक्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर के साथ ही आम जनता के लिए सरल और आसान व कम टैक्स वाला बनाने पर टास्क फोर्स का विशेष ध्यान होगा।
वित्त मंत्रालय ने बताया कि इस टास्क फोर्स के संयोजक अरबिंद मोदी, सदस्य (कानून), सीबीडीटी होंगे। टास्क फोर्स में सदस्यों के रूप में गिरीश आहूजा, सीए और गैर-सरकारी निदेशक, एसबीआई, राजीव मेमानी, चेयरमैन और रीजनल मैनेजिंग पार्टनर, ईएंडवाई, मुकेश पटेल, टैक्स वकील, अहमदाबाद शामिल हैं। अन्य सदस्यों में सुश्री मानसी केडिया, सलाहकार, आईसीआरआईईआर, नई दिल्ली और जीसी श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त आईआरएस (1971 बैच) और वकील शामिल हैं। डा. अरविंद सुब्रमण्यम, मुख्य आर्थिक सलाहकार टास्क फोर्स के स्थायी विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।
इस टास्क फोर्स का मुख्य रूप से चार मुद्दों पर ध्यान केंद्रित होगा। पहला दुनिया के विभिन्न देशों में डायरेक्ट टैक्स का क्या प्रावधान है। दूसरा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे बेहतर व्यवस्था क्या है। तीसरा देश की आर्थिक स्थिति के हिसाब से डायरेक्ट टैक्स के लिए सबसे बेहतर व्यवस्था कैसी होनी चाहिए और चौथा इनकम टैक्स कानून में क्या बदलाव होने चाहिए।