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ग्लोबल अर्थव्यवस्था में सुस्ती से भारतीय निर्यात को झटका, 2016 में सुधर सकते हैं हालात

ग्लोबल स्तर पर सुस्त मांग से देश का निर्यात आंकड़ा इस साल ज्यादातर समय गिरावट में रहा। हालांकि, सरकार की पहलों से 2016 में इसमें सुधार आने की उम्मीद है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated : December 28, 2015 13:34 IST
ग्लोबल अर्थव्यवस्था में सुस्ती से भारतीय निर्यात को झटका, 2016 में सुधर सकते हैं हालात
ग्लोबल अर्थव्यवस्था में सुस्ती से भारतीय निर्यात को झटका, 2016 में सुधर सकते हैं हालात

नई दिल्ली। ग्लोबल स्तर पर सुस्त मांग से देश का निर्यात आंकड़ा इस साल ज्यादातर समय गिरावट में रहा। हालांकि, सरकार की पहलों से 2016 में इसमें सुधार आने की उम्मीद है। 2015 के पहले 11 माह में निर्यात 243.68 अरब डॉलर रहा है। इस रूख के हिसाब से 2015 में निर्यात 265 अरब डालर रह सकता है। यह 2014 की तुलना में 21.9 फीसदी कम होगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन के अनुसार निर्यात में सुधार अभी भी काफी हद तक वैश्विक मांग में सुधार पर निर्भर करेगा। इसके अलावा यह कच्चे तेल की कीमतों की घटबढ़ पर भी निर्भर होगा। उन्‍होंने कहा कि भारतीय निर्यातकों के दो प्रमुख बाजार अमेरिका और यूरोप हैं और दोनों ही जगह मांग में सुधार का अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है। देश के कुल निर्यात में इन दो बाजारों की हिस्सेदारी 30 फीसदी से अधिक है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने 2016 में व्यापार वृद्धि के अनुमान को पहले के चार फीसदी से घटाकर 3.9 फीसदी कर दिया है।

2016 में निर्यात बढ़ने की उम्मीद

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि 2016 में निर्यात सुधरेगा। मंत्री की उम्मीद सरकार द्वारा इस साल घोषित पहलों पर टिकी हैं। सरकार ने निर्यातकों को तीन फीसदी ब्याज सब्सिडी सुविधा को विस्तार दिया है। इसके अलावा उन्हें वस्तु निर्यात इंडिया स्कीम (एमईआईएस) का लाभ दिया गया है जबकि ड्यूटी ड्रॉ-बैक की दरें भी बढ़ाई गई हैं। सीतारमन ने हाल में कहा था, हमने एमईआईएस योजना के तहत समर्थन दिया है। इसके अलावा हमने ब्याज सहायता योजना की घोषणा की है। ऐसे में हमारे निर्यात में जल्द सुधार देखने को मिलेगा।

क्रूड और कमोडिटी ने चढ़े दाम तो घटेगा निर्यात

निर्यातकों के प्रमुख संगठन फियो का कहना है कि निर्यात प्रदर्शन में सुधार कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों पर निर्भर करेगा। फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा, कच्चे तेल और कमोडिटी कीमतों में और नरमी आने पर निर्यात की वृद्धि और प्रभावित होगी। वैश्विक स्थिति में सुधार में कुछ समय लगेगा। ऐसे में निर्यात में 15 फीसद की बढ़ोतरी होने पर हम 2016 में 305 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा। पिछले साल 2014-15 में निर्यात 323.2 अरब डॉलर रहा था। रल्हन ने कहा कि 2015 के पहले 11 माह में निर्यात 243.68 अरब डॉलर रहा है। इस रूख के हिसाब से 2015 में निर्यात 265 अरब डालर रह सकता है। यह 2014 की तुलना में 21.9 फीसदी कम होगा। आगामी वर्ष में निर्यात के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार ने जो पहल की हैं उससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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