8 नवंबर 2016 की वह शाम शायद ही भारतीयों के दिल और दिमाग से निकलेगी, जब प्रधानमंत्री ने दुनिया की सबसे बड़ी नोटबंदी की घोषणा की थी। दिवाली के अगले ही हफ्ते उठाए गए इस कदम ने 500 और 1000 के नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया था। उसके बाद से देश में सरकार डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल पर जोर भी दे रही है।
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में दुनिया में सबसे ज्यादा करीब साढ़े 25 अरब रियल टाइम पेमेंट्स भारत में हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद नकद नारायण से भारतीय लोगों का प्यार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है।
58 प्रतिशत बढ़ा कैश का इस्तेमाल
नोटबंदी (Demonetisation) की घोषणा के 5 साल बाद भी लोगों के पास करेंसी में बढ़ोतरी जारी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया हर 15 दिन से ‘करेंसी विद द पब्लिक’ की रिपोर्ट जारी करता है। यानी लोगों के पास कितना नकदी है, इसका आकलन इस तरह से होता है कि देश में जितना नकदी पैसा या ‘करेंसी इन सर्कुलेशन’ होता है। इस रिपोर्ट के अनुसार 8 अक्टूबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े में लोगों के पास करेंसी 28.30 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई स्तर पर रही। इस राशि को यदि आरबीआई की नोटबंदी से ठीक पहले यानि 4 नवंबर, 2016 की रिपोर्ट से तुलना करें तो तब 17.97 लाख करोड़ रुपये के स्तर से यह आंकड़ा 57.48 फीसदी या 10.33 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है।
दुनिया में सबसे ज्यादा डिजिटल पेमेंट भारत में
इस बात में कोई संशय नहीं है कि नोटबंदी के बाद ऑनलाइन पेमेंट का चलन बढ़ा है। लेकिन लोगों के पास नकदी भी तो बढ़ रही है। पेमेंट सिस्टम्स पर नज़र रखने वाली एक कंपनी ACI वर्ल्डवाइड के डेटा के मुताबिक 2020 में दुनिया में सबसे ज्यादा 25 अरब रियल टाइम पेमेंट्स भारत में हुए हैं। पेमेंट की संख्या के मामले हम चीन से भी आगे हैं। ACI ने भारत सरकार की वेबसाइट MyGov के साथ मिलकर एक सर्वे भी किया था। सर्वे के मुताबिक 60 फीसदी कंज्यूमर्स हफ्ते में एक बार या एक से ज्यादा ऑनलाइन पेमेंट करते हैं। RBI का डेटा के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में डिजिटल पेमेंट्स में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है।
नोटबंदी के कैश की मात्रा में आई थी भारी कमी
हालांकि नोटबंदी लागू होने के बाद यानि 25 नवंबर, 2016 के आंकड़े से तुलना करें तो लोगों के पास नकदी 211 फीसदी बढ़ी है। 25 नवंबर को यह आंकड़ा 9.11 लाख करोड़ रुपये था। नवंबर 2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोट वापस लेने के बाद लोगों के पास करेंसी, जो 4 नवंबर 2016 को 17.97 लाख करोड़ रुपये थी, जनवरी 2017 में घटकर 7.8 लाख करोड़ रुपये रह गई।
जानिए क्यों बढ़ रही है नकदी
देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद नकदी के सर्कुलेशन में बढ़ोत्तरी हो रही है। विशेषज्ञ इसका एक कारण सख्त लॉकडाउन को भी मानते हैं। दुनिया भर के देशों ने फरवरी में लॉकडाउन की घोषणा की और भारत सरकार ने भी मार्च में लॉकडाउन की घोषणा की। लोगों ने अपने किराने और अन्य आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए नकदी जमा करना शुरू कर दिया, जो कि मुख्य रूप से पड़ोस की किराने की दुकानों द्वारा पूरी की जा रही थी।