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22 साल में सबसे बेहतर साबित हो सकता है मानसून, अल-नीनो पर भारी पड़ेगा ला-नीना

प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट वेदर सर्विसेज ने चार महीने (जून-सितंबर) चलने वाले मानसून के दौरान 109 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया है।

Dharmender Chaudhary
Updated on: May 26, 2016 11:15 IST
Shower of Happiness: 22 साल में सबसे बेहतर साबित हो सकता है मानसून, अल-नीनो पर भारी पड़ेगा ला-नीना- India TV Paisa
Shower of Happiness: 22 साल में सबसे बेहतर साबित हो सकता है मानसून, अल-नीनो पर भारी पड़ेगा ला-नीना

नई दिल्ली। भारत में 1994 के बाद इस साल सबसे अधिक बारिश होने की संभावना है और ऐसा संभव होगा ला-नीना की वजह से। प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट वेदर सर्विसेज ने चार महीने (जून-सितंबर) चलने वाले मानसून के दौरान 109 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया है। वहीं भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक देश में सामान्य के मुकाबले 106 फीसदी बारिश हो सकती है। 1994 के बाद यह पहला मौका है, जब किसी वेदर एजेंसी ने 109 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया है। अच्छी बारिश के कारण धान, मक्का और तिलहन की खेती बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है।

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सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान

2013 के बाद पहली बार मौसम विभाग ने देश में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान लगाया है। इससे पहले लगातार दो साल सूखे जैसे हालात का सामना करना पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को उम्मीद है कि बेहतर मानसून रहने से इकोनॉमिक ग्रोथ को सहारा मिलेगा। साथ ही देश में पेयजल की समस्या से भी काफी हद तक निजात मिलेगी। 2009 के बाद पिछले साल का मानसून सबसे खराब रहा था। इस दौरान सामान्य के मुकाबले 14 फीसदी कम बारिश हुई थी। इसकी वजह से धान, मक्का, चीनी और तिलहन के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई।

अल-नीनो पर भारी पड़ेगा ला-नीना     

स्काईमेट के सीईओ जतिन सिंह ने बताया कि मानसून के पहुंचते ही अल-लीनो का प्रभाव खत्म हो जाएगा। वहीं इस साल ला-नीना की अधिक संभावना है। ऐसे में बारिश अच्छी होगी। सिंह ने कहा कि जुलाई के मध्य में ला-नीना प्रभावी होगा और जोरदार बारिश होगी। दक्षिण अमेरिका के पास समुद्र का तापमान बढ़ता है तो अल-नीनो बनता है। अल-नीनो पूर्व की दिशा में बहने वाली हवा को कमजोर करता है। इसके अलावा इंडोनेशिया के पास मानसूनी हवाओं की ताकत को कम कर देता है। इसकी वजह से देश में कम बारिश होती है। इसके विपरीत ला-नीना, कम तापमान से संबंधित है, जो कि हवाओं और तूफान को ताकत प्रदान करता है। इसकी वजह से हमारे देश में मानसून में अच्छी बारिश होती है। स्काईमेट ने अप्रैल में सामान्य के मुकाबले 105 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया था।

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खेती पर मानसून का पड़ता है गहरा असर

मानसून का असर खरीफ और रबी दोनों फसलों पर पड़ता है, क्योंकि देश के 50 फीसदी से अधिक खेत सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर हैं। सरकार ने फसल वर्ष 2016-17 में रिकॉर्ड 27.01 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। देश में इससे पहले वर्ष 2013-14 में रिकॉर्ड 26.50 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था। 2015 में 50 साल के औसत से 14 फीसदी और 2014 में 12 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई। इस साल भारतीय मौसम विभाग ने केरल के तटों पर 7 जून को मानसून के पहुंचने का अनुमान लगाया है। वहीं, स्काईमेट के मुताबिक 28 मई को मानसून दस्तक देगा। सामान्य तौर पर मानसून एक जून को केरल पहुंचता है।

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