नई दिल्ली। अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाला ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर समूह एयर इंडिया को खरीदने के लिए बोली लगाने पर विचार कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि इस योजना को अंतिम रूप देने से पहले समूह बोली दस्तावेजों का अध्ययन कर रहा है। सरकार ने घाटे में चल रही एयरलाइंस में अपनी पूरी हिस्सेदारी नियंत्रण के साथ और 50 प्रतिशत हिस्सेदारी ग्राउंट हैंडलिंग यूनिट में बेचने की पेशकश की है।
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अडानी समूह की विलय और अधिग्रहण (एमएंडए) टीम एयर इंडिया के बोली दस्तावेजों का अध्ययन कर रही है और यह योजना अभी अपने शुरुआती चरण में है। हालांकि उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बोली लगाना बोर्ड मंजूरी पर निर्भर करेगा।
यदि अडानी समूह बोली लगाता है, तो यह टाटा समूह, हिंदूजा, इंडिगो और न्यूयॉर्क के फंड इंटरप्स की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने एयर इंडिया को खरीदने के लिए अपने रुचि पत्र अगले महीने जमा कराने की बात कही है। अडानी समूह के प्रवक्ता ने अभी इस खबर का खंडन नहीं किया है।
सूत्रों ने बताया कि अडानी एयर इंडिया और अपने एयरपोर्ट ऑपरेशन के बीच समानता देखते हैं। अडानी समूह को पिछले साल अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और मेंगलुरु हवाई अड्डे का परिचालन करने का अधिकार मिला था। एयर इंडिया के लिए बोली लगाने के निर्णायक कारकों में कर्ज और घाटा प्रमुख होगा।
एयर इंडिया पिछले कुछ सालों से घाटे में चल रही है और इसके खरीदार को 23,286.5 करोड़ रुपए के तय कर्ज के अलावा कुछ चिन्हित मौजूदा और गैर-मौजूदा उत्तरदायित्वों का भी वहन करना होगा। एयर इंडिया और इसकी सहयोगी इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस के पास 120 एयरक्राफ्ट हैं।
2018 में एयर इंडिया को बेचने में असफल रहने के बाद सरकार ने अब इसमें अपनी संपूर्ण हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया है। 2018 में, सरकार ने एयरलाइन में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी। 31 मार्च, 2019 के मुताबिक एयर इंडिया पर कुल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसके खरीदार को 23,286.5 करोड़ रुपए के कर्ज का भुगतान करना होगा। शेष कर्ज को एयर इंडिया असेट होल्डिंग लिमिटैड को स्थानांरित किया जाएगा।