मेलबर्न। भारतीय उद्योग समूह अडानी एंटरप्राइजेज को ऑस्ट्रेलिया में अपनी 16.5 अरब डॉलर वाली कोयला खदान परियोजना को शुरू करने में और देरी का सामना करना पड़ सकता है। एक पर्यावरण समूह ने अडानी के इस प्रोजेक्ट को कानूनी चुनौती दी है। पर्यावरण समूह ने नई सरकार द्वारा दी गई मंजूरी यह कहते हुए रद्द करने की मांग की है कि इससे संवेदनशील ग्रेट बैरियर रीफ को नुकसान पहुंचेगा और जलवायु परिवर्तन में इजाफा होगा।
ऑस्ट्रेलिया के पर्यावरण मंत्री ने 15 अक्टूबर को अडानी की इस कोयला खदान को दोबारा पर्यावरण मंजूरी दी थी। ऑस्ट्रेलिया की इस सबसे बड़ी खनन परियोजना को 36 सख्त शर्तों के आधार पर दोबारा मंजूरी दी गई है। इससे पहले इस साल ऑस्ट्रेलिया की एक अदालत ने सजावटी सांप और संवेदनशील प्रजाति की यक्का छिपकली पर इसके असर को ध्यान में रखते हुए परियोजना को रद्द कर दिया था।
ऑस्ट्रेलिया कंजर्वेशन फाउंडेशन (एसीएफ) ने कहा कि पर्यावरण मंत्री हंट यह नहीं समझ सके कि खान में कोयले के जलने से होने वाले जलवायु प्रदूषण का असर वैश्विक विरासत के तौर पर दर्ज ग्रेट बैरियर रीफ की रक्षा के प्रति ऑस्ट्रेलिया की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता के अनुकूल नहीं है। एसीएफ के अध्यक्ष जियोफ कजिन्स ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और विदेशी पर्यटक ग्रेट बैरियर रीफ पसंद करते हैं लेकिन यदि हम जलवायु परिवर्तन को बढ़ने देते हैं तो यह खत्म हो जाएगा।
पर्यावरणविद इस कोयला खदान प्रोजेक्ट के लिए लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने सभी बैंकों से इस प्रोजेक्ट को लोन न देने के लिए दबाव बनाया है। इसके अलावा यूनेस्को ने ग्रेट बैरियर रीफ को खतरे में बताया है। गौतम अडानी पिछले पांच साल से इस खदान को लेकर पर्यावरणविदों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। अगस्त में अडानी को इस प्रोजेक्ट पर काम रोकने के लिए कहा गया था।
एलएंडटी बेचेगी कट्टूपल्ली बंदरगाह
लार्सन एंड टुब्रो ने कट्टूपल्ली बंदरगाह को अडानी समूह की सहयोगी अडाणी कट्टूपल्ली पोर्ट्स प्राइवेट को बेचने का फैसला
किया है। एलएंडटी यहां इस बंदरगाह का विकास कर रही है। इस सौदे के लिए सोमवार को एलएंडटी ने अडानी कट्टूपल्ली पोर्ट्स लिमिटेड के साथ सैद्धांतिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। फिलहाल एलएंडटी अपनी अनुषंगी एलएंडटी शिपबिल्डिंग के जरिये इस बंदरगाह व शिपयार्ड का परिचालन कर रही है।