नई दिल्ली। भारत में प्रत्येक चार मिनट में एक आदमी की मौत होती है और इसकी वजह है रोड एक्सीडेंट। यहां हर साल 5 लाख रोड एक्सीडेंट होते हैं, जिनमें से 150,000 लोगों की मौत अत्याधिक स्पीड, शराब पीकर गाड़ी चलाना और अन्य इसी प्रकार की वजह से होने वाले रोड एक्सीडेंट के कारण होती है। पिछले एक दशक के दौरान दस लाख से अधिक भारतीय देश की सड़कों पर अपना दम तोड़ चुके हैं, जो कि पूरी दुनिया में सबसे खतरनाक मानी जाती हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक रोड एक्सीडेंट से हर साल भारत की इकोनॉमी को जीडीपी में 3 फीसदी (55,000 करोड़ रुपए या 8.2 अरब डॉलर) का नुकसान होता है।
गडकरी ने 22 मई को अपने एक इंटरव्यू में कहा
जब से मैंने इस क्षेत्र का कार्यभार संभाला है, हमें सबसे अधिक अफसोस इस बात का है कि हमारी अच्छी मंशा के बावजूद सड़क सुरक्षा बिल अटका हुआ है। मुझे 1.5 लाख लोगों के सड़क दुर्घटनाओं में मरने की बात से बड़ा दुख होता है, इनमें से जिनमें ज्यादातर युवा होते हैं और मैं असहाय महसूस करता हूं।
मई 2014 को सत्ता में आने के तुरंत बाद ही नरेंद्र मोदी सरकार ने घोषणा की थी कि उसका उद्देश्य देश में कुल रोड एक्सीडेंट की संख्या को घटाकर आधा करने का है। मोदी सरकार के सहयोगी और वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे की जून 2014 में दिल्ली में एक रोड एक्सीडेंट में मौत होने के बाद रोड सेक्टर में सुरक्षा नियमों को कड़ा बनाने की योजना को जोर दिया गया। सरकार ने मौजूदा मोटर व्हीकल एक्ट को बदलने के लिए रोड सेफ्टी एंड ट्रांसपोर्टेशन बिल, 2014 पेश किया, जिसमें यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। सड़क हादसे में मौत होने की स्थिति में उल्लंघनकर्ता पर तीन लाख रुपए का जुर्माना तथा कम से कम सात साल की सजा का प्रस्ताव है। मैन्युफैक्चरिंग डिजाइन में खामी पर भी सजा का प्रावधान है।
गडकरी ने आगे कहा कि
इतने अधिक लोग युद्ध या आतंकवादी हमलों या नक्सली हमलों, यहां तक कि आपदाओं में भी नहीं मरते, जितने कि सड़क दुर्घटनाओं में हर साल मरते हैं। इससे मैं सो नहीं पाता। मैं जितनी जल्दी हो सके, सड़क दुर्घटनाओं में 50 फीसदी की कमी लाना चाहता हूं।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि निहित स्वार्थों के चलते रोड सेफ्टी एंड ट्रांसपोर्टेशन बिल का पारित नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि ये वे लोग हैं जो राजमार्ग क्षेत्र में पारदर्शिता और कम्प्यूटरीकरण नहीं चाहते। पिछले साल आठ राज्यों में ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने इस बिल के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी।
गडकरी ने कहा कि
भारत में 30 फीसदी ड्राइविंग लाइसेंस बोगस हैं। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है। इस बारे में गलत अवधारणा वे लोग फैला रहे हैं जो नए कानून में पारदर्शिता से प्रभावित होंगे।
इस साल जनवरी में मोदी सरकार ने 726 दुर्घटना संभावित सड़कों की मरम्मत पर 11,000 करोड़ रुपए खर्च करने का भी वादा किया है। लेकिन हम केवल भारतीय सड़कों को ही इसके लिए अकेले जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं, जिन्हें दुनिया में सबसे खतरनाक माना जाता है। इस महीने के शुरुआत में लंदन के ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम द्वारा आयोजित क्रैश टेस्ट में भारत की कई लोकप्रिय कारें विफल रही हैं, जिनमें रेनो क्विड, हुंडई ईयोन और मारुति सुजुकी सेलेरियो शामिल हैं। ऐसे में कार कंपनियों पर भी सुरक्षा की जवाबदेही बनती है।