नई दिल्ली। सहारा ग्रुप ने आरोप लगाया है कि बाजार नियामक सेबी पक्षपाती होकर काम कर रहा है और वह सहारा ग्रुप से 62,600 करोड़ रुपये (8.48 अरब डॉलर) की मांग एकदम गलत है। सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा ने अपने एक बयान में कहा कि सेबी द्वारा की जा रही मांग पूरी तरह से गलत है।
सहारा ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में उसे प्रिंसीपल राशि जो लगभग 24,700 करोड़ रुपए है, जमा करने का निर्देश दिया और हम पहले ही 22,000 करोड़ रुपए जमा करवा चुके हैं। सेबी अब गलत ढंग से शुरुआत से 15 प्रतिशत ब्याज जोड़कर गलत तरीके से 62,600 करोड़ रुपए की मांग कर रहा है।
सहारा ग्रुप ने कहा कि सेबी ने पूरे देश में लगभग 150 अखबारों में विज्ञापन देकर दावों को आमंत्रित किया लेकिन बावजूद इसके वह अभी तक निवेशकों को केवल 107 करोड़ रुपए का ही भुगतान कर पाया है। सेबी ने अपने अंतिम विज्ञापन में यह दावा किया था कि अब वह और किसी दावे पर विचार नहीं करेगा। इसका मतलब है कि अब कोई दावेदार नहीं बचा है। सहारा समूह बहुत पहले ही अपने निवेशकों को उनका धन लौटा चुका है, तो ऐसे में नए दावेदार कहां से आएंगे। सेबी पक्षपात पूर्ण व्यवहार कर रहा है। यह दोहरे भुगतान का एक जटिल मामला है।
उल्लेखनीय है कि सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा को तुरंत 62,600 करोड़ रुपए का भुगतान करने का निर्देश देने की अपील की है। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि भुगतान न करने पर सु्ब्रत रॉय सहारा की पैरोल को निरस्त कर दोबारा जेल भेजा जाए।
बाजार नियामक सेबी ने कहा है कि सहारा इंडिया परिवार ग्रुप की दो कंपनियों और ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय पर ब्याज सहित कुल 62,600 करोड़ रुपए की देनदारी है।