नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के लगभग 92,700 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) का विकल्प चुना है। इससे ऋण के बोझ से दबी दोनों कंपनियों को सालाना वेतन मद में 8,800 करोड़ रुपए की बचत होने की संभावना है।
दोनों कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन ने कहा कि वीआरएस के लिए तय किए गए लक्ष्य से अधिक कर्मचारियों ने इसे चुना है। दोनों ही कंपनियों में वीआरएस चुनने की अंतिम तिथि मंगलवार को समाप्त हो गई है। बीएसएनएल के 78,300 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति विकल्प को चुना है। यह संख्या बीएसएनएल के कुल कर्मचारियों के आधे से अधिक है। एमटीएनएल के 14,378 कर्मचारियों ने वीआरएस को चुना है। यह संख्या एमटीएनएल के कुल कर्मचारियों के 76 प्रतिशत के बराबर है।
बीएसएनएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पीके पुरवार ने बताया कि स्कीम बंद होने तक सभी सर्किल से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक लगभग 78,300 कर्मचारियों ने वीआरएस का चुनाव किया है। वीआरएस आवेदनकर्ताओं के अलावा 6000 कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो रहे हैं। यह हमारे लक्ष्य के अनुरूप है। हमने 82,000 कर्मचारियों की छंटनी का लक्ष्य तय किया था।
कंपनी का अनुमान है कि कर्मचारियों की संख्या कम होने से उसे सालाना वेतन खर्च में लगभग 50 प्रतिशत यानी 7000 करोड़ रुपए की बचत होगी। वर्तमान में बीएसएनएल का सालाना वेतन खर्च 14,000 करोड़ रुपए है।
एमटीएनएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील कुमार ने बताया कि वीआरएस के लिए तय किए गए लक्ष्य से अधिक कर्मचारियों ने इस विकल्प को चुना है। कुमार ने बताया कि 13,650 कर्मचारियों के लक्ष्य के विपरीत 14,378 कर्मचारियों ने वीआरएस को चुना है। इससे हमारा सालान वेतन खर्च 2,272 करोड़ रुपए से घटकर 500 करोड़ रुपए रह जाएगा। एमटीएनएल के पास अब केवल 4,430 कर्मचारी बचेंगे, जो कारोबार को चलाने के लिए पर्याप्त हैं।
दोनों सार्वजनिक दूरसंचार कंपनियों के घाटे में जाने का मुख्य कारण इनका भारी-भरकम वेतन खर्च है। वित्त वर्ष 2018-19 में बीएसएनएल को 14,904 करोड़ रुपए और एमटीएनएल को 3,398 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। दोनों कंपनियों पर कुल 40,000 करोड़ रुपए का ऋण बकाया है।
सरकार ने अक्टूबर में बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 68,751 करोड़ रुपए का रिवाइवल पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें 17,169 करोड़ रुपए वीआरएस के लिए और 12,768 करोड़ रुपए पेंशन लाभ के लिए शामिल हैं।