नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि बैंक के लगभग 20 प्रतिशत ग्राहकों ने टर्म लोन किस्त के भुगतान के लिए मोराटोरियम विकल्प को चुना है। 27 मार्च को आरबीआई ने 1 मार्च, 2020 से 31 मई, 2020 के दौरान आने वाले सभी टर्म लोन के भुगतान को तीन माह तक भुगतान से छूट देने की घोषणा की थी।
शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को लोन पर मोराटोरियम को और तीन महीने यानी 31 अगस्त, 2020 तक बढ़ाने की अनुमति दी है। रजनीश कुमार ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक के मामले में, मोराटोरियम विकल्प को चुनने वाले ग्राहकों का प्रतिशत बहुत कम है, यह लगभग 20 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने मोराटोरियम का विकल्प चुना हैं, उनमें से सभी लोगों को तरलता का संकट नहीं है। उनमें से अधिकांश लोग अपने लोन की किस्त चुका सकते हैं लेकिन एक रणनीति के तहत वह अपने नकद को बचाकर रखना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने मोराटोरियम को चुना। कुमार ने यह भी सलाह दी कि ऋणी को अपना लोन चुकाना चाहिए यदि उनके सामने कोई वित्तीय परेशानी नहीं है। यदि लोग अपनी ईएमआई का भुगतान करने में सक्षम हैं, तो उन्हें इसका भुगतान करना चाहिए। यदि उनके पास नकदी की समस्या है तभी उन्हें मोराटोरियम का लाभ उठाना चाहिए।
कुमार के मुताबिक आरबीआई के मोराटोरियम ऋणियों के समक्ष नकदी प्रवाह में आए व्यवधान को संभालने के लिए पर्याप्त है और अभी वन-टाइम रिस्ट्रक्चरिंग की कोई तुरंत आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि अभी, मोराटोरियम नकदी प्रवाह की परेशानी को संभालने के लिए पर्याप्त है। इस समय में वन-टाइम रिस्ट्रक्चरिंग के पक्ष में बिल्कुल नहीं हूं, जबकि हमारे पास 31 अगस्त तक का समय है।