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DBT योजना में आधार ने निभाई महत्‍वपूर्ण भूमिका, भ्रष्‍टाचार में आई भारी कमी

बायोमेट्रिक कार्ड के माध्‍यम से DBT योजना के तहत 83,184 करोड़ रुपए लाभार्थियों तक पहुंचाए गए, जबकि पहले ऐसी योजनाओं का बड़ा हिस्‍सा बीच में गायब हो जाता था।

Manish Mishra
Published : August 27, 2017 14:13 IST
DBT योजना में आधार ने निभाई महत्‍वपूर्ण भूमिका, भ्रष्‍टाचार में आई भारी कमी
DBT योजना में आधार ने निभाई महत्‍वपूर्ण भूमिका, भ्रष्‍टाचार में आई भारी कमी

नई दिल्ली। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया गया है। इसके बाद आधार से जुड़ी तमाम सरकारी योजनाओं पर बहस छिड़ गई है। इस बीच नरेंद्र मोदी सरकार के 3 साल के कार्यकाल पर एसोचैम की आर्बिटरी रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है कि बायोमेट्रिक कार्ड के माध्‍यम से प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण  (DBT) योजना के तहत 83,184 करोड़ रुपए लाभार्थियों तक पहुंचाए गए, जबकि पहले ऐसी योजनाओं का बहुत सारा धन बीच में गबन कर लिया जाता था।

एसोचैम के अध्ययन के मुताबिक, जन धन और आधार का असली फायदा सरकार की DBT योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या में दिखती है। DBT योजनाओं के अंतर्गत 2003 के 1 जनवरी से लेकर 2017 के 31 मार्च तक कुल 83,183.79 करोड़ रुपए हस्तांतरित किए गए, लेकिन वास्तविक उपलब्धि इसके द्वारा वितरित की गई रकम के आंकड़े में नहीं, बल्कि इसमें है कि इन राशियों को न्यूनतम भ्रष्‍टाचार के साथ वितरित किया गया है, जो सुशासन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

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संयोग है कि एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की है, जब देश में सर्वोच्च न्यायालय के निजता के अधिकार को लेकर दिए गए फैसले का असर आधार से जुड़ी योजनाओं पर पड़ने की बात की जा रही है।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) योजनाओं के कारण ‘पहल’ के अंतर्गत 3.34 करोड़ नकली उपभोक्ताओं को हटाया गया तथा इसके अलावा 2.33 करोड़ राशन कार्ड बंद किए गए, जिससे सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी में पारदर्शिता आई। DBT योजना से साल 2016 के दिसंबर तक 49,500 करोड़ रुपए की बचत हुई, जिसमें सबसे ज्यादा बचत पहल योजना के अंतर्गत 26,408 करोड़ रुपए की हुई।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर टिप्पणी करते हुए एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा,

9 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने आधार से जुड़ी सरकारी योजनाओं के लिए खिड़की प्रदान की है। साथ ही स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार की सराहना करते हुए कहा है कि डेटा सुरक्षा के लिए एक मजबूत शासन स्थापित करने की जरूरत है, किसी व्यक्ति की निजता और राज्य की वैध चिंताओं के बीच एक संवेदनशील संतुलन स्थापित करने की जरूरत है।

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रावत ने कहा कि शीर्ष अदालत ने ‘कल्याणकारी योजनाओं के अपव्यय’ को रोकने की बात कही है। इसलिए आधार कार्ड को बनाए रखने की खिड़की खुली छोड़ी है, ताकि इसका इसका इस्तेमाल DBT और अन्य कल्याणकारी योजनाओं में किया जा सके।

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