Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. पक्षपाती नहीं है आयकर कानून, सभी करदाताओं को समान नजर से देखता है : सुप्रीम कोर्ट

पक्षपाती नहीं है आयकर कानून, सभी करदाताओं को समान नजर से देखता है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने इस बहस को भ्रामक बताया कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने संबंधी आयकर कानून में किया गया नया प्रावधान पक्षपातपूर्ण है।

Manish Mishra
Published on: June 12, 2017 16:26 IST
पक्षपाती नहीं है आयकर कानून, सभी करदाताओं को समान नजर से देखता है : सुप्रीम कोर्ट- India TV Paisa
पक्षपाती नहीं है आयकर कानून, सभी करदाताओं को समान नजर से देखता है : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इस बहस को भ्रामक बताया है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने संबंधी आयकर कानून में किया गया नया प्रावधान पक्षपातपूर्ण है और यह करदाताओं को दो वर्ग में बांटता है। सुप्रीम कोर्ट को आयकर कानून की धारा 139एए में कुछ भी गलत नहीं लगता है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि सभी करदाता एक ही श्रेणी में आते हैं और जिस धारा को लेकर चुनौती दी गई है उसमें उन्हें एक समान ही रखा गया है।

यह भी पढ़ें : Flipkart पर आज से शुरू हुई ‘ग्रैंड गैजेट सेल’, सस्‍ते में मिल रहे हैं स्‍मार्टफोन, लैपटॉप सहित ये प्रोडक्‍ट

आयकर कानून में शामिल की गई नई धारा 139एए के तहत एक जुलाई से आयकर रिटर्न दाखिल करने अथवा स्थायी खाता संख्या (PAN) के लिए आवेदन करने के समय आधार नंबर का उल्लेख करना या फिर आधार के लिए किए गए आवेदन की पंजीकरण संख्या का उल्लेख किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी कानून की वैधता को उन लोगों की अलग श्रेणी मानकर चुनौती नहीं दी जा सकती है जो कि कानून के एक खास प्रावधान को लेकर एतराज जता रहे हैं और उन्हीं के आधार पर इसे पक्षपातपूर्ण ठहराया जा रहा है।

यह भी पढ़ें : इनकम टैक्‍स रिटर्न फाइल करने और नया PAN बनवाने के लिए 1 जुलाई से आधार जरूरी, CBDT ने किया स्पष्ट

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब कोई कानून बनाया जाता है तो उसके दायरे में जो भी लोग आते हैं उन्हें उसका पालन करना चाहिए। हालांकि, इसमें कोई शक नहीं है कि यह नागरिक का अधिकार है कि वह विधायिका में बने किसी खास कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर अदालत में पहुंच सकता है। न्यायमूर्त एके सीकरी और अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि केवल इस आधार पर कि कुछ लोग कानून की एक धारा का विरोध कर रहे हैं, इसका यह मतलब नहीं लगाया जा सकता कि वह अपने आप में एक अलग श्रेणी बन गई है। इस आधार पर दो श्रेणियां नहीं बनाई जा सकती हैं कि एक श्रेणी वह जो योजना के दायरे में आना चाहते हैं और दूसरी उन लोगों कि जो दायरे में नहीं आना चाहते हैं।

अदालत ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता की इस दलील को भ्रामक बताया कि आयकर कानून का प्रावधान अपने आप में पक्षपातपूर्ण है क्योंकि इससे दो श्रेणियां बन गई हैं एक उनकी जो आधार में पंजीकरण कराना चाहते हैं और दूसरी उनकी जो इसमें पंजीकरण नहीं कराना चाहते हैं।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement