नई दिल्ली। बैंक और टेलीकॉम कंपनियां यदि आधार युक्त ई-केवायसी प्रक्रिया शुरू कर देती हैं तो अगले पांच साल के दौरान उन्हें 10,000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हो सकती है। एक सर्वे में यह बात कही गई है।
परामर्श कंपनी माइक्रो सेव के ताजा सर्वे के अनुसार आधार युक्त ई-केवायसी प्रक्रिया बैंकों तथा दूरसंचार कंपनियों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर बैंक बचत खाता खोलने वाले ग्राहकों के लिए तथा टेलीकॉम ऑपरेटर्स प्रीपेड मोबाइल कनेक्शन के लिए ई-केवायसी अपनाती हैं तो वे संभवत: अगले पांच साल में 2021 तक 10,000 करोड़ रुपए की बचत कर सकती हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों के लिए उल्लेखनीय लागत बचत के अलावा आधार युक्त ई-केवायसी मौजूदा कागज आधारित केवायसी से ज्यादा बेहतर है। इसके अनुसार बैंकों द्वारा अपनाई जा रही मौजूदा ग्राहक पंजीकरण प्रक्रिया में लंबा समय लगता है और एक खाते को चालू होने में दो से चार सप्ताह का समय लग जाता है। वहीं ई-केवायसी युक्त बैंक खाता कुछ ही मिनट में चालू हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-केवायसी से ग्राहकों की पहचान और उनके पते की सत्यता को तुरंत जांचा जा सकता है। इतना ही नहीं कागज आधारित सत्यता प्रक्रिया को बंद कर तथा डिजिटल प्रक्रिया को अपनाकर कागजी दस्तावेंजों को सुरक्षित न रखने की जरूरत खत्म होने से लागत खर्च कई गुना कम हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर केवायसी वेरीफिकेशन प्रक्रिया का ऑटोमेशन होने से एक और क्षमतावान प्रक्रिया इजाद होगी जो कम समय लेगी और ग्राहकों को कम समय में बेहतर सेवा मिल सकेगी।