नई दिल्ली। आधार कार्ड को कानूनी मान्यता दिलाने और इसकी मदद से सरकारी खजाने से होने वाले करोड़ों रुपए के लीकेज को बचाने के लिए मोदी सरकार ने एक सूझबूझ भरा कदम उठाया है। राज्य सभा द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों को खारिज करते हुए लोकसभा में आधार कार्ड बिल को पास कर दिया गया। सरकार ने आधार कार्ड बिल को मनी बिल के रूप में पेश किया, जिससे इसे राज्य सभा में पास कराने की अनिवार्यता स्वत: समाप्त हो गई, जहां सरकार की स्थिति कमजोर है।
राष्ट्रपति द्वारा इस बिल पर हस्ताक्षर करने के बाद आधार को कानूनी मान्यता मिल जाएगी, इससे यह सभी भारतीयों के लिए एक प्रभावी, केंद्रीय और वैश्विक पहचान पत्र के तौर पर इस्तेमाल योग्य बन जाएगा। अभी तक 98 करोड़ आधार कार्ड जारी किए जा चुके हैं और सरकार अगले कुछ वर्षों में आधार कार्ड को सभी के लिए वास्तविक पहचान पत्र बनाना सुनिश्चित करेगी।
यूनिक आईडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईएआई) के पूर्व चेयरमैन नंदन निलेकणी ने एक अंग्रेजी अखबार को आधार कार्ड के कुछ फायदे बातए थे, जो निम्न प्रकार हैं:
- गरीबों के लिए सामाजिक कल्याण योजनाओं में आधार कार्ड का इस्तेमाल कर सरकार हर साल 50,000 करोड़ रुपए की बचत कर पाएगी।
- एलपीजी सब्सिडी का वितरण आधार कार्ड से लिंक कर सीधे बैंक एकाउंट में जमा होने से पिछले साल सरकार को 10,000 करोड़ रुपए की बचत हुई है।
- भारत सरकार अब आधार कार्ड के उपयोग के जरिये पेपर-लेस, प्रजेंस लेस और कैश लेस इकोनॉमी की ओर बढ़ सकती है। इससे 2000 करोड़ पेपर की बचत हो सकती है।
- 30 करोड़ से ज्यादा लोगों का 60 करोड़ घंटे का समय बचेगा, जो प्रतिदिन सरकार की सेवाओं को हासिल करते हैं।
- मोदी सरकार का जैम (जनधन, आधार, मोबाइल) कार्यक्रम अब पूरे भारत में आसानी से लागू किया जा सकेगा, इसका सबसे ज्यादा फायदा उन गरीबों को होगा, जिनके पास अब तक कोई पहचान पत्र नहीं है।
- नंदन के मुताबिक सभी आधार कार्ड यूजर्स की डिजिटल पहचान को भारत में ही भंडार कर रखने से आधार कार्ड नेट न्यूट्रैलिटी को भी सुनिश्चित करने में मददगार होगा।
- आधार कार्ड एक भारतीय नागरिक का नाम, पता, जन्म तिथि, लिंग और ईमेल आईडी या मोबाइल नंबर के साथ ही उसके बायोमेट्रिक पहचान (फोटो, फिन्गरप्रिंट और रेटिना स्कैन) को सुरक्षित रखेगा।
अगर आधार कार्ड में हो गई है कोई गलती तो ऐसे करें घर बैठे सही
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लेकिन प्राइवेसी का क्या
प्राइवेसी की वकालत करने वालों का आरोप है कि सरकार और अनाधिकृत एजेंसी दोनों ही आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। 100 करोड़ भारतीयों का अंतरंग और अति संवेदनशील डाटा दो स्थानों बेंगलुरु और मनेसर (हरियाणा) में भंडार कर रखा जाएगा और यदि एक भी स्थान पर कुछ गड़बड़ हुआ तो यह आम जनता के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।
कुछ सिक्यूरिटी एनालिस्टों का कहना है कि 100 करोड़ भारतीयों का बायोमेट्रिक डाटा भारत सरकार को अमेरिका की नेशनल सिक्यूरिटी एजेंसी से ज्यादा दखल और निगरानी शक्ति प्रदान करेगा, जिसका एक काला चेहरा एडवर्ड स्नोडेन 2013 में पूरी दुनिया को दिखा चुके हैं। इसके पक्ष में नंदर नीलेकणी ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि इस पूरे सिस्टम में कई इनबिल्ट सिक्यूरिटी तंत्र हैं, जो इसे पूरे डाटा कलेक्शन को अति सुरक्षित बनाते हैं। उन्होंने कहा कि यूजर की अनुमति के बाद ही कोई व्यक्ति या संस्था उससे जुड़ी जानकारी हासिल कर सकता है। बिना मंजूरी के कोई भी जानकारी लेने पर कड़ी सजा का स्पष्ट प्रावधान किया गया है।
किसी मामले में जहां प्रदर्शनकारी गलत हैं, वहां सरकार उनसे जुड़ी हर जानकारी एकत्रित कर सकती है। लेकिन यदि किसी मुद्दे पर सरकार गलत है तो वह प्रदर्शनकारियों को आसानी से पहचान कर उन्हें परेशान कर सकती है। कुछ मानव अधिकार कार्यकर्ता आधार कार्ड पर निगरानी के लिए एक नियामकीय संस्था की मांग कर रहे हैं, जो नागरिकों की जानकारी का गलत इस्तेमाल न होना सुनिश्चित करे।
आएगा 11 अंकों का टोलफ्री नंबर
मोदी सरकार जल्द ही आधार के लिए 11 अंक वाला टोल फ्री नंबर लाएगी। इसके जरिये देश के किसी भी कोने से कोई भी व्यक्ति किसी भी समय आधार के बारे में जानकारी ले सकेगा। साथ ही जरूरत पड़ने पर किसी भी तरह की शिकायत कर सकेगा। नया टोल फ्री नंबर अप्रैल से शुरू किया जाएगा।