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भारतीय स्‍टार्टअप्‍स को लेकर चिंतित नहीं हैं एंजेल इन्‍वेस्‍टर, बोले आगे भी चलता रहेगा कारोबार

एंजेल इन्‍वेस्‍टर मोहन दास पई ज्‍यादा चिंतित नहीं हैं। स्‍टार्टअप्‍स एक हाई-रिस्‍क वेंचर हैं। वे विफल होंगे, तो कोई बात नहीं। यह ऐसे ही चलता रहेगा।

Abhishek Shrivastava
Published on: June 17, 2016 7:42 IST
Fall & Rise: भारतीय स्‍टार्टअप्‍स की ग्रोथ को लेकर चिंतित नहीं एंजेल इन्‍वेस्‍टर, बोले आगे भी चलता रहेगा कारोबार- India TV Paisa
Fall & Rise: भारतीय स्‍टार्टअप्‍स की ग्रोथ को लेकर चिंतित नहीं एंजेल इन्‍वेस्‍टर, बोले आगे भी चलता रहेगा कारोबार

नई दिल्‍ली। भारतीय स्‍टार्टअप्‍स वास्‍तव में गुब्‍बारे की तरह नहीं है, जो कभी भी फट जाएगा। स्‍टार्टअप्‍स को फंडिंग मिलना कम हो गया है, प्रतिभा का पलायन हो रहा है और मुनाफा अभी भी सवालों के घेरे में है। लेकिन भारत के प्रमुख एंजेल इन्‍वेस्‍टर मोहन दास पई इससे ज्‍यादा चिंतित नहीं हैं। वे कहते हैं कि स्‍टार्टअप्‍स एक हाई-रिस्‍क वेंचर हैं। वे विफल होंगे, तो कोई बात नहीं। यह ऐसे ही चलता रहेगा।

इंफोसिस के पूर्व मुख्‍य वित्‍तीय अधिकारी रहे मोहनदास पई ने 2015 में नौ स्‍टार्टअप्‍स में निवेश किया है। इनमें न्‍यूज पोर्टल योरस्‍टोरी, टैक्‍स इन्‍फोर्मेशन पोर्टल टैक्‍ससूत्रा और पुणे की रेस्‍टॉरेंट डिस्‍काउंट स्‍टार्टअप रेजी शामिल हैं। पेशे से चार्टर्ड एकाउंटैंट पई अक्‍सर सोशल मीडिया पर मुखर रहते हैं। Quartz के साथ एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने भारतीय स्‍टार्टअप्‍स की वर्तमान परिस्थिति पर खुलकर बातचीत की। पेश है उस इंटरव्‍यू के कुछ अंश:

सवाल: क्‍या हम स्‍टार्टअप्‍स द्वारा की गई बहुत ज्‍यादा गलतियों की समीक्षा कर रहे हैं?

जवाब: देखिए, विफलता और सफलता जीवन का हिस्‍सा है। और यह दोनों ही ईकोसिस्‍टम का हिस्‍सा हैं। स्‍टार्टअप्‍स हाई-रिस्‍क वेंचर्स हैं। वे फेल होंगे, तो ठीक है। यहां सफलता या विफलता पर बहुत ज्‍यादा ध्‍यान देने की जरूरत नहीं है। यह ऐसे ही चलता रहेगा। स्‍टार्टअप्‍स में भी, इकोनॉमी के अन्‍य हिस्‍सों की तरह ही, जहां खुली प्रतिस्‍पर्धा है, वैल्‍यूएशन हमेशा वैल्‍यू क्रिएशन से आगे रहती है और इससे उत्‍साह मिलता है। अगर कोई विफल हुआ क्‍योंकि वहां बबल है। और वैल्‍यूएशन चला गया वैल्‍यू क्रिएशन से पीछे और यहां बाजार समतल हो गया। यह एक साइकिल है, जो चलती रहेगी।

सवाल: तो क्‍यों वैल्‍यूएशन पर सबसे ज्‍यादा ध्‍यान और महत्‍व दिया जाता है?

जवाब: वैल्‍यूएशन सबका ध्‍यान आकर्षित करता है क्‍योंकि लोग यह महसूस करते हैं कि कोई बहुत ज्‍यादा पैसा बना रहा है। यह एक बहुत ही नैचूरल चीज है। क्‍यों फि‍ल्‍मों में ग्‍लैमर लोगों को आकर्षित करता है? क्‍यों लोग किसी व्‍यक्ति का दिल नहीं देखते बल्कि उसकी शारीरिक सुंदरता को महत्‍व देते हैं? यह कुछ चीजें हैं जो हमेशा रहती हैं, इसलिए यहां सब ठीक है।

सवाल: भारत में स्‍टार्टअप्‍स के सामने वर्तमान में क्‍या वास्‍तविक चुनौतियां हैं?

जवाब: देश में स्‍टार्टअप के लिए वास्‍तविक चुनौती एक सही बिजनेस तैयार करना है। ग्राहकों तक पहुंचना, विस्‍तार और पूंजी उपलब्‍धता कुछ ऐसी चुनौतियां हैं, जो हमेशा रहेंगी। पिछले साल 5,000 स्‍टार्टअप्‍स में से केवल 1200 को ही फंडिंग मिली। बाकी सभी पैर पटक रहे हैं या अपना पैसा लगा रहे हैं। इनमें से बहुत से बंद हो जाएंगे।

सवाल: अक्‍सर यह कहा जाता है कि भारतीय स्‍टार्टअप्‍स के पास इन्‍नोवेशन की कमी है, और वे पश्चिमी विचारों से ज्‍यादा प्रभावित हैं। क्‍या आपको लगता है कि उनके पास ओरिजनल आइडिया की कमी है?

जवाब: मैं आईटी इंडस्‍ट्री से आता हूं, जहां लोग हमें सायबर कुली कहते थे, वे हमें बहुत गालियां देते और कहते थे कि आप बिजनेस नहीं कर रहे हैं बल्कि सस्‍ते लेबर हैं। आप केवल सस्‍ते लेबर की दम पर 110 अरब डॉलर की ग्‍लोबल इंडस्‍ट्री खड़ी नहीं कर सकते। लोग यह नहीं समझेंगे कि ग्‍लोबल बिजनेस बनाने के लिए क्‍या चाहिए। यदि आप दुनियाभर में सभी बिजनेस को देखेंगे, उनमें से अधिकांश एक जैसे ही हैं। उनमें अलग क्‍या है? वॉलमार्ट के रिटेल बिजनेस में क्‍या अलग बात है? यह केवल एक दुकान है, लेकिन वॉलमार्ट सफल है क्‍योंकि इसने एक बड़ा ससटैनेबल बिजनेस खड़ा किया है और यह पर्याप्‍त स्‍ट्रक्‍चर्ड है और चल रहा है। हर चीज कॉपी है, ऐसा कहने वाले वे लोग हैं जिनमें समक्ष नहीं होती और इनमें से अधिकांश ऐसे लोग होते हैं जिन्‍होंने कभी भी कुछ भी हासिल नहीं किया।

सवाल: यहां ऐसा विश्‍वास है कि स्‍टार्टअप्‍स दुनिया में फंडिंग हासिल करने के लिए आईआईटी का टैग लगा होना जरूरी है, क्‍या यह सच है?

जवाब: शिक्षा और कौशल बहुत महत्‍वपूर्ण है। यह आपको समर्थन और नेटवर्क बनाने में मदद करता है। किसी भी देश में टॉप संस्‍थानों में एक अनोखी फि‍ल्‍टरिंग होती है और यहां पढ़े हुए छात्र एक नेटवर्क बनाते हैं। इससे बहुत आसानी होती है। इसलिए यह ठीक है। यह ऐसा देश नहीं है, जिसे आईआईटी से पढ़े लोग चला रहे हैं।

सवाल: जब कोई स्‍टार्टअप्‍स आपके पास बिजनेस प्‍लान के साथ आता है तो आप उसमें क्‍या देखते हैं?

जवाब: जुनून, ऊर्जा और आशा। हम केवल यह देखते हैं कि जिस आइडिया पर बिजनेस तैयार किया गया है क्‍या वह ससटैनेबल है और क्‍या उसे आगे बढ़ाया जा सकता है। हम देखते हैं कि क्‍या यहां यूनिक डिफरेंशिएटर है। पिफर हम देखते हैं कि टीम के पास जुनून, ऊर्जा और कठोर मेहनत कर ऐसा करने की क्षमता है। तब हम देखते हैं कि उन्‍हें किस तरह की फंडिंग की जरूरत है। मुझे जो अच्‍छा लगता है और मैं यह महसूस करता हूं कि मुझे अपील कर रही है इस आधार पर मैं निवेश करता हूं। मैं अभी भी निवेश कर रहा हूं और कुछ निवेश अंतिम चरण में हैं।

सवाल: स्‍टार्टअप्‍स के लिए ई-कॉमर्स के अलावा यहां और कौन से उभरते हुए क्षेत्र हैं?

जवाब: यहां कई सेक्‍टर्स में इन्‍नोवेशन हो रहे हैं। यहां तेजी से उभरते हुए कुछ सेक्‍टर हैं, जिनमें एड-टेक, फि‍नटेक और हेल्‍थ-टेक प्रमुख हैं।

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