नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर को रोकने के लिए एक महीने का राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाया जाता है तो इससे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर में 1 से 2 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। इससे वार्षिक वृद्धि दर में 300 आधार अंकों का जोखिम हो सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका सिक्यूरिटीज इंडिया के अर्थशास्त्री इंद्रानिल सेन गुप्ता और आस्था गुदवानी ने कहा कि कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए यदि एक महीने का लॉकडाउन लगाया जाता है तो इससे जीडीपी में 100-200 आधार अंकों की गिरावट आ सकती है। इस उच्च आर्थिक कीमत से बचने के लिए केंद्र और राज्य सरकार नाइट कर्फ्यू और स्थानीय लॉकडाउन को तरजीह दे रहे हैं।
दूसरी लहर से वृद्धि दर दहाई अंक से नीचे आने की आशंका
पूर्व वित्त सचिव एस सी गर्ग ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 के बढ़ते नए मामलों तथा उसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए जा रहे लॉकडाउन से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 10 प्रतिशत से नीचे जा सकती है। इस महीने की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2021 में भारत की वृद्धि दर 12.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 11 प्रतिशत जबकि रिजर्व बैंक ने इसके 10.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है।
गर्ग ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि कोविड-19 मामलों में तेजी से वृद्धि और इसकी रोकथाम के लिए कई राज्यों में लगाई गई पाबंदियों से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर पर असर पड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि अभी इस बात अनुमान लगाना कठिन है संक्रमण किस तेजी फैलता है? सरकार इस संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठाती है, किस तरह की पाबंदियां लगाई जाती हैं और लोगों का रुख क्या होता है? ये सभी बातें मांग और आपूर्ति पर पड़ने वाले प्रभाव को निर्धारित करेंगी। पहली तिमाही में वृद्धि दर अब करीब 15 से 20 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की इसी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 24 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
उन्होंने कहा कि अगर कोरोना की मौजूदा दूसरी लहर नहीं आती, तो यह वृद्धि दर 25 से 30 प्रतिशत के बीच होती। गर्ग ने पूरे वित्त वर्ष 2021-22 का अनुमान जताते हुए कहा कि इस समय की स्थिति के अनुसार चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 10 प्रतिशत से कुछ नीचे रहने की संभावना अधिक वास्तविक लग रही है। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन नहीं लगाए जाने के विचार की सराहना की। अभी लगाई जा रही पाबंदियों से मासिक आधार पर नुकसान 0.5 प्रतिशत से कम होने का अनुमान है। जबकि पूर्ण रूप से लॉकडाउन लगाए जाने से नुकसान 4 प्रतिशत होता।
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