नई दिल्ली। आप यकीन करें या न करें, अरुणाचल प्रदेश के विजॉयगनर कस्बे में रहने वाले लोग एक बोरी सीमेंट के लिए 8,000 रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है। विजॉयनगर, चांगलैंग जिले का एक सब-डिवीजनल कस्बा है, जहां 1500 लोग रहते हैं। यहां समुचित सड़क संपर्क नहीं है। कस्बे तक पहुंचने के लिए मायो में नजदीकी सड़क पर पांच दिन पैदल चलकर लोग यहां पहुंचते हैं।
हालांकि यहां सामान की आपूर्ति के लिए साप्ताहिक हेलीकॉप्टर सर्विस उपलब्ध है लेकिन बहुत हद तक यह मौसम की स्थिति पर निर्भर है। पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के जूनियर इंजीनियर जुमली अदो ने बताया कि चकमा लोग अपनी पीठ पर सीमेंट की बोरी लादकर लंबी दूरी पैदल तय करते हैं, इसलिए वह प्रति बोरी 8,000 रुपए वसूलते हैं।
पीएचई डिपार्टमेंट यहां इंजीविजुअल हाउसहोल्ड लैट्रिन (आईएचएचएल) का निर्माण कर रही है। एक आईएचएचएल के निर्माण के लिए केंद्र सरकार 10800 रुपए और राज्य सरकार 9,200 रुपए दे रही है। भारत-चीन-म्यांमार के बॉर्डर पर बसे विजॉयनगर तक सभी निर्माण सामग्री को नमदापाह नेशनल पार्क के जरिये चकमा लोगों के जरिये पहुंचाया जा रहा है। अदो ने बताया कि चकमा लोग प्रति सीमेंट बोरी के लिए 8,000 रुपए वसूल रहे हैं। वे लोग अपनी पीठ पर बोरी को लादकर 156 किलोमीटर पैदल चलकर पांच दिनों में यहां लाते हैं।
दिसंबर तक इस पहाड़ी कस्बे को खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य दिया गया है और आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कैसी कठोर चुनौतियों का सामना यहां काम करने वालों को करना पड़ रहा है। राज्य के नागरिक आपूर्ति मंत्री कामलुंग मोससैंग, जो मायो विधानसभा से विधायक भी हैं, ने बताया कि राज्य सरकार ने इस क्षेत्र के लिए एक सड़क परियोजना को अपनी मंजूरी दे दी है।