नई दिल्ली। वेंटीलेटर निर्माण में भारत आत्मनिर्भर हो गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना संकट के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय को मिले 60 हजार वेंटीलेटर में से वॉल्यूम के हिसाब से 96 फीसदी वेंटीलेटर भारत में ही बनाए गए हैं। वहीं कीमतों के आधार पर कुल खरीद का 90 फीसदी हिस्सा स्वदेश में बने वेंटीलेटर का है। कोरोना महामारी पर प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान स्वास्थ्य सचिव ने ये जानकारी दी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक स्वेदशी वेंटीलेटर को मुहैया कराने में सबसे बड़ा योगदान भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और आंध्रा मेड टेक जोन का है। मंत्रालय को मिलने वाले वेंटीलेटर में 30,000 भारत इलेक्टॉनिक्स से और 13500 वेंटीलेटर आंध्रा मेड टेक जोन से मिल रहे हैं। सचिव के मुताबिक साल 2019 में भारतीय वेंटीलेटर मार्केट 8510 यूनिट के साथ करीब 445 करोड़ रुपये का था। मार्च में घरेलू उत्पादकों के द्वारा कई उपकरण और हिस्सों को आयात करना पड़ा था तब बिना आयात के वेंटीलेटर बनाना संभव नहीं था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक महामारी की वजह से वेंटीलेटर की जरूरत वाले मरीजों के अनुमान और कोरोना संक्रमित के एक वेंटीलेटर पर रहने के औसत दिनों के अनुमान के आधार पर गणना की गई कि देश को अधिकतम 60 हजार वेंटीलेटर की जरूरत पड़ सकती है, इसी के आधार पर वेंटीलेटर का प्रबंध किया जा रहा है।
वहीं घरेलू उत्पादकों द्वारा वेंटीलेटर निर्माण में तेजी के बाद केंद्र सरकार ने हाल ही में भारत में बने वेंटिलेटर के निर्यात को अनुमति भी दी है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्यात से जुड़ा प्रस्ताव मिलने के बाद ग्रुप ऑफ मिनिस्टर ने पहली अगस्त को इसपर सहमति देने दी थी। मंत्रालय के मुताबिक भारत में कोरोना की वजह से मृत्युदर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। साथ घरेलू निर्मातियों के उत्पादन में इस दौरान तेजी देखने तो मिली है। जनवरी 2010 के मुकाबले 20 से ज्यादा घरेलू कंपनियां वेटिलेटर का निर्माण कर रही हैं। देश के अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद भी निर्माता विदेशों को वेंटिलेटर भेज सकते हैं। मंत्रालय के मुताबिक इससे घरेलू निर्माताओं को अपने वेंटिलेटर के लिए विदेशों में नए मार्केट मिल सकेंगे।