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Tough Target: भारत के लिए 900 अरब डॉलर का एक्‍सपोर्ट लक्ष्‍य पाना नहीं आसान, करने होंगे सुधार

अप्रैल 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत का एक्‍सपोर्ट 2020 तक दोगुना कर 900 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्‍य तय किया था।

Abhishek Shrivastava
Updated on: January 01, 2016 13:54 IST
Tough Target: भारत के लिए 900 अरब डॉलर का एक्‍सपोर्ट लक्ष्‍य पाना नहीं आसान, करने होंगे सुधार- India TV Paisa
Tough Target: भारत के लिए 900 अरब डॉलर का एक्‍सपोर्ट लक्ष्‍य पाना नहीं आसान, करने होंगे सुधार

नई दिल्‍ली। अप्रैल 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत का एक्‍सपोर्ट 2020 तक दोगुना कर 900 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्‍य तय किया था। आठ माह बीत जाने के बाद भी यह लक्ष्‍य कई मायनों में अति महत्‍वाकांक्षी दिखाई पड़ रहा है। वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक अप्रैल से नवंबर 2015 के दौरान भारत का कुल एक्‍सपोर्ट पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 18.5 फीसदी घटा है। यह गिरावट प्रमुख रूप से उत्‍पादों का एक्‍सपोर्ट कम हाने की वजह से आई है। देश के कुल एक्‍सपोर्ट में उत्‍पादों की हिस्‍सेदारी लगभग दो तिहाई है। इस दौरान सर्विस एक्‍सपोर्ट पर ज्‍यादा कोई असर नहीं पड़ा है।

आगे आने वाले महीनों के लिए आउटलुक अधिक स्थिर दिखाई पड़ रहा है, जो कि इस लक्ष्‍य को और भी मुश्किल बनाता है। शॉर्ट टर्म में ग्‍लोबल डिमांड कमजोर दिखाई पड़ रही है और इसके साथ ही कुछ संरचनात्‍मक मुद्दों को- मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर में मंदी सहित- पहले हल करने की जरूरत है, जिनकी मदद से एक्‍सपोर्ट को रिवाइव किया जा सकता है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने 2020 तक उत्‍पाद और सेवाओं का एक्‍सपोर्ट दोगुना कर 900 अरब डॉलर करने का लक्ष्‍य रखा है, जो कि वित्‍त वर्ष 2015 में 470 अरब डॉलर का है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि मौजूदा चक्रीय मंदी बनी रहती है और संरचनात्‍मक मुद्दों को हल नहीं किया जाता है तो भारत के लिए यह लक्ष्‍य हासिल करना मुश्किल होगा। इसमें ये भी कहा गया है कि सरकार के फ्लैगशिप मेक इन इंडिया कार्यक्रम, जिसका लक्ष्‍य बड़े स्‍तर पर मैन्‍युफैक्‍चरिंग में रोजगार पैदा करना और भातर को विश्‍व स्‍तर का एक्‍सपोर्ट हब बनाना है, अपने उद्देश्‍य को हासिल करने में विफल रह सकता है।

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क्‍या है दुनिया भर से संकेत  

अक्‍टूबर में, अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपने वर्ल्‍ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा था कि 2015 में ग्‍लोबल ग्रोथ का अनुमान 3.1 फीसदी है, जो 2014 की तुलना में 0.3 फीसदी कम है। वहीं वर्ल्‍ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन ने अपने 2015 के ग्‍लोबल ट्रेड ग्रोथ अनुमान को 3 फीसदी से घटाकर 2.8 फीसदी कर दिया है। 2016 के लिए अनुमान 4 फीसदी से घटाकर 3.9 फीसदी किया गया है।

क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के जो प्रमुख एक्‍सपोर्ट मार्केट हैं, वहां आर्थिक मंदी बनी हुई है, जिसकी वजह से इन देशों में इंपोर्ट डिमांड कम है। इन बाजारों में यूएई, चीन और हांगकांग के साथ अन्‍य देश भी शामिल हैं। बीएमआर एडवाइजर के पार्टनर हिमांशु तिवारी कहते हैं कि जब तक ग्‍लोबल इकोनॉमी में सुधार नहीं आता, तब तक कोई भी प्रोत्‍साहन या संरचनात्‍मक बदलाव भारत से एक्‍सपोर्ट को बढ़ाने में मददगार नहीं हो सकते। वर्तमान में भारत से उत्‍पादों का एक्‍सपोर्ट तकरीबन 300 अरब डॉलर है, ऐसे में ये नया लक्ष्‍य बहुत अधिक महत्‍वाकांक्षी लगता है।

लक्ष्‍य का 50 फीसदी कर पाएंगे हासिल

दिल्‍ली यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर प्रवाकर साहू कहते हैं कि 2020 तक 900 अरब डॉलर के लक्ष्‍य तक पहुंचने के लिए भारत को सालाना 15 से 20 फीसदी के बीच ग्रोथ हासिल करने की जरूरत होगी। उन्‍होंने कहा कि 20 फीसदी ग्रोथ को भूल जाइए, अभी तक एक्‍सपोर्ट ग्रोथ पॉजीटिव नहीं है और आगे आने वाली तिमाहियों में भी इसके पॉजीटिव होने की उम्‍मीद नहीं है। आगे आने वाले पांच वर्ष में यदि कुछ सुधार हुए तो हम कुल लक्ष्‍य का 50 फीसदी हासिल कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि 2020 तक भारत का कुल एक्‍सपोर्ट 700 से 750 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।

एक्‍सपोर्ट में गिरावट को चिंता जनक नहीं बता रही है सरकार

मोदी सरकार इस बात को सिद्द करने में जुटी है कि भारत का एक्‍सपोर्ट समस्‍या से घिरा नहीं है। 22 दिसंबर को वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। ट्रेड आंकड़ों पर नजर डालें तो यह हमें संतोषजनक परिणाम देते हैं। पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट्स का एक्‍सपोर्ट 52 फीसदी घटा है। पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट्स के मामले में कच्‍चे माल जैसे क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी कमी आई है। यदि पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट्स के एक्‍सपोर्ट को हटा दिया जाए, तो एक्‍सपोर्ट में यह गिरावट डॉलर के रूप में केवल 9.6 फीसदी है। रुपए में नॉन-ऑयल एक्‍सपोर्ट में गिरावट केवल 3.7 फीसदी है। सरकार एक्‍सपोर्ट में गिरावट के लिए पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट्स को दोषी ठहरा रही है, जिसकी कुल एक्‍सपोर्ट में हिस्‍सेदारी 18.8 फीसदी है।

क्रिसिल के मुताबिक अन्‍य प्रमुख एक्‍सपोर्ट सेगमेंट भी गिरावट में हैं। इंजीनियरिंग गुड्स, जिसकी कुल एक्‍सपोर्ट में 21.9 फीसदी हिस्‍सेदारी है, अप्रैल-अक्‍टूबर के दौरान इसमें 11 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। जेम्‍स एंड ज्‍वेलरी, तीसरा सबसे बड़ा एक्‍सपोर्ट सेगमेंट (कुल एक्‍सपोर्ट में 13 फीसदी हिस्‍सेदारी) में इस दौरान 7 फीसदी की गिरावट आई है।

Source: qz.com

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