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शहरों की सड़कों चलने की जगह नहीं, फिर भी 90 फीसदी भारतीय “बे” कार

देश की 90 फीसदी आबादी के पास अपना वाहन नहीं है। ऐसे में यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ाने की जरूरत है।

Abhishek Shrivastava
Updated : August 17, 2016 9:20 IST
नई दिल्ली। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में इतनी गाड़ियां (टू- व्हीलर्स शामिल) हैं कि सड़कों पर चलने की जगह नहीं है। दिल्ली में तो गाड़ियों की वजह से प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया कि सरकार को ऑड-इवन फॉर्मूला लागू करना पड़ा। वहीं डीजल गाड़ियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बड़े-बड़े फैसले सुना दिए। लेकिन आपको हैरानी होगी कि देश की 90 फीसदी आबादी के पास अपना वाहन नहीं है। यह खुलासा ताजा सरकारी आंकड़ों से हुआ है। ऐसे में यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ाने की जरूरत है। इसके अलावा लोग प्राइवेट गाड़ियां ना खरीद उसके लिए सस्ता ट्रांसपोर्ट की भी आवश्यकता है।

देशभर में सिर्फ 1.6 लाख सरकारी बसें

सरकारी अनुमान के अनुसार देश में करीब 18.64 करोड़ वाहन है जिसमें टू- व्हीलर्स भी शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक मिनी, स्कूल और शिक्षण संस्थानों में चल रही बसों को मिलाकर कुल 18 लाख बसें हैं। चिंता की बात यह कि सिर्फ 1.6 लाख बसें ही राज्य सड़क परिवहन उपक्रमों के पास है जो लोगों के यातायात का साधन है। इसको देखते हुए सरकार राज्य सड़क परिवहन को पुनर्जीवित करने के लिए मूव इन इंडिया स्कीम (जल्द शुरू होगी) के तहत बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। स्कीम के तहत राज्य सड़क परिवहन को ज्यादा पैसे मिलेंगे। इससे राज्य बसों की संख्या बढ़ाने में सक्षम हो सकेंगी और परिवहन यातायात में सुधार आएगा। परिवहन मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, सरकार उन राज्यों को इंसेंटिव भी देगी जो अच्छा काम करेंगी। दूसरी ओर आंकड़ों के मुताबिक कुल वाहनों की संख्या में बसों की हिस्सेदारी 10 फीसदी (1951) से घटकर 1 फीसदी रह गया है।

ग्रामीण और शहरी इलाकों में टू- व्हीलर्स पहली पसंद

यातायात में बसों हिस्सेदारी बढ़ने के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जगह टू-व्हीलर्स का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। एक सरकारी अधिकारी ने स्वीकार किया कि बीते 5-6 दशकों में सड़क आधारित पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया और जो कुछ भी किया गया वह शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित था। ट्रांसपोर्ट सुविधा बढ़ाने के लिए केंद्र बस परमिट प्रणाली को आसान बनाने पर काम कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए सरकार मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन में बस परमिट को सान बनाया है।

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