नई दिल्ली। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बैकिंग क्षेत्र से जोड़ने के लिए चलाए गए वित्तीय समावेशन अभियान का व्यापक लाभ हुआ। ग्रामीण क्षेत्रों के 88.1 प्रतिशत परिवारों के पास बचत खाते हैं। नाबार्ड ने अपने सर्वेक्षण में यह बात कही। सर्वेक्षण के दिन तक बकाये कर्ज के मामले में (आईओआई), कृषि से जुड़े 52.5 प्रतिशत परिवारों और 42.8 प्रतिशत गैर-कृषि परिवारों पर ऋण है।
नाबार्ड द्वारा जारी अखिल भारतीय वित्तीय समावेश सर्वेक्षण (एनएएफआईएस) के अनुसार, अखिल भारतीय स्तर पर 47.4 ग्रामीण परिवारों पर कर्ज है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 88.1 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों और 55 प्रतिशत कृषक परिवारों के पास एक बैंक खाता है। उनकी प्रति परिवार बचत औसतन 17,488 रुपए है।
कृषि से जुड़े करीब 26 प्रतिशत परिवार और गैर-कृषि क्षेत्र के 25 प्रतिशत परिवार बीमा के दायरे में है। इसी प्रकार, 20.1 प्रतिशत कृषक परिवारों ने पेंशन योजना ली है जबकि इससके मुकाबले 18.9 प्रतिशत गैर-कृषक परिवारों के पास पेंशन योजना है।
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के चेयरमैन एच के भनवाला ने कहा कि यह सर्वेक्षण वित्तीय समावेश और ग्रामीणों आजीविका जैसे पहलुओं को एकसाथ लाने का एक अग्रणी प्रयास है।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड हर तीन वर्ष में सर्वेक्षण करता है। सर्वेक्षण से पता चला है कि कृषि से जुड़े परिवारों की आय में महत्वपूर्ण रूप से तेजी आई। सबसे ज्यादा वृद्धि छोटे और सामान्य किसानों की आय में रही।
यह सर्वेक्षण में 2016-17 में किया गया और इसमें 40,327 ग्रामीण परिवार शामिल थे। इसके अनुसार, एक ग्रामीण परिवार की औसत वार्षिक आय 1,07,172 रुपए है जबकि गैर-कृषि गतिविधियों से जुड़े परिवारों की औसत आय 87,228 रुपए रही। यह सर्वेक्षण पूरे देश में किया गया है और 29 राज्यों के 245 जिलों में 2016 गांवों से नमूने एकत्र किए गए हैं। इस प्रक्रिया में कुल 1,87,518 लोगों को शामिल किया गया है।