नई दिल्ली। सिप्ला, एबॉट, एस्ट्राजेनेका और डॉ. रेड्डीज समेत कई बड़ी कंपनियों द्वारा उत्पादित 634 दवाओं के दाम NPPA द्वारा तय सीमा से अधिक रखे जाने का संदेह है।
राष्ट्रीय दवा मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) को विभिन्न कंपनियों की 634 दवाओं के दाम अधिक रखे जाने का संदेह है। प्राधिकरण के मुताबिक विभिन्न कंपनियों की इन दवाओं में उसके द्वारा अधिसूचित अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
- एनपीपीए ने ताजा अधिसूचना में कहा है कि उसने यह सूची पिछले साल दिसंबर में विभिन्न दवाओं के बाजार आंकड़ों के विश्लेषण के बाद जारी की है।
- इस सूची में शामिल दवाओं में सिप्ला, एबॉट इंडिया, अजंता फार्मा, अल्केम लैब, एस्ट्राजेनेका, डॉ रेड्डीज लैब और कैडिला सहित कई कंपनियां शामिल हैं।
- एनपीपीए ने अब तक 662 दवाओं के अधिकतम मूल्य अधिसूचित किए हैं।
- ये दाम डीपीसीओ-2013 आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम-15) के तहत तय किए गए हैं।
- सरकार किसी खास चिकित्सा वर्ग की सभी दवाओं के सामान्य औसत मूलय के हिसाब से आवश्यक दवाओं का दाम तय करती है।
- इसमें वहीं दवाएं शामिल की जातीं हैं, जिनकी बाजार हिस्सेदारी एक प्रतिशत से अधिक हो।
- कंपनियों को इस तरह की दवाओं के दाम एक साल में 10 प्रतिशत तक बढ़ाने की अनुमति है।
- सरकार ने दवा मूल्य नियंत्रण आदेश-2013 (डीपीसीओ) को 15 मई 2014 से अधिसूचित किया है।
- यह आदेश 1995 के आदेश के स्थान पर लाया गया, जिसमें कि केवल 74 थोक दवाओं के दाम का ही नियमन किया जाता था।
- आवश्यक दवाओं के दाम तय करने और उसमें संशोधन के लिए एनपीपीए की स्थापना 1997 में की गई।