नई दिल्ली। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को कहा कि भारत की सावरेन रेटिंग में कटौती से छह ‘फॉलेन एंजल’ तैयार हुए हैं। फॉलेन एंजल गैर वित्तीय क्षेत्र की ऐसी कंपनियां को कहते हैं, जिनकी रेटिंग गिरकर कबाड़ माने जाने से महज एक पायदान ऊपर रह गई है। दूसरे शब्दों में जिन कंपनियों को निवेश श्रेणी से हटाकर जोखिमपूर्ण निवेश श्रेणी में रख दिया जाता है, उन्हें ‘फॉलेन एंजल’ कहते हैं। एजेंसी ने कहा कि ये सभी छह कंपनियां सार्वजनिक क्षेत्र की तेल और गैस क्षेत्र की हैं और इन्हें 2021 तक एक अरब डॉलर के बांड का भुगतान करना है।
एजेंसी ने कहा कि इन छह कंपनियों में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, ऑयल इंडिया, पेट्रोनेट एलएनजी, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन शामिल हैं। मूडीज ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इन छह तेल और गैस कंपनियों की अंतिम रेटिंग अब उनके बुनियादी ऋण प्रोफाइल के आधार पर तय न होकर सावरेन रेटिंग में कटौती से निर्धारित होगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि छह भारतीय कंपनियों को ‘फॉलेन एंजल’ का दर्जा देने के बाद इनकी संख्या एशिया में बढ़कर 21 हो गई है, जो अब तक सबसे अधिक है। कोविड-19 महामारी और भारत की सावरेट रेटिंग में कटौती के कारण इनकी संख्या दोगुनी हो गई है।
इन 21 कंपनियों को 2021 में परिपक्व होने वाले बॉन्ड के रूप में 12.3 अरब डॉलर से अधिक का भुगतान करना है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2008 तक ‘फॉलेन एंजल’ की सूची में चीन की कंपनियां अधिक रहती थीं, लेकिन उसके बाद भारत और दक्षिण कोरिया की हिस्सेदारी बढ़ी है।