नई दिल्ली। देश में केंद्र सरकार के करीब 58 लाख पेंशनभोगियों के बैंक खातों को प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत समाहित किया जा सकता है। यह योजना वित्तीय समावेश का एक राष्ट्रीय मिशन है। सरकार के इस कदम को उसके उस लक्ष्य को पाने की दिशा में देखा जा रहा है, जिसमें सभी तरह की सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभों को 31 मार्च 2017 तक प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के दायरे में लाया जाना है।
कैबिनेट सचिवालय द्वारा जारी एक संदेश में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय से कहा गया है कि वह पेंशनरों के बैंक खातों को प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों में परिवर्तित करने की संभावना की जांच परख करे। इससे पहले सभी बैंकों को यह निर्देश दिया गया था कि वह उनकी शाखाओं में आने वाले सभी पेंशनरों के खातों के साथ उनके आधार नंबर दाखिल करें।
डीबीटी मिशन, जो कि कैबिनेट सचिवालय के तहत काम करता है, ने वित्तीय सेवा विभाग से पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री जनधन खातों को आधार नंबर के साथ प्राथमिक खातों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें सभी तरह की सरकारी सहायताओं को अंतरित किया जा सके।
प्रधानमंत्री जनधन योजना यानि पीएमजेडीवाई समाज के गरीब और वंचित तबके को देश के वित्तीय तंत्र से जोड़ने की योजना है ताकि उन्हें भी बैंकों में मूल बचत खाता और जरूरतों के मुताबिक कर्ज उपलब्ध कराया जा सके। धन प्रेषण की सुविधा मिले, बीमा और पेंशन सुविधाएं भी उपलब्ध हों। इस योजना के तहत उन्हें रुपे डेबिट कार्ड भी दिया जाता है, जिसमें कि एक लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कवर भी दिया जाता है। इसमें सरकार की तरफ से दी जाने वाली सभी सहायताओं को भी बैंक के जरिये लाभार्थी तक पहुंचाया जाता है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में अब तक 22.65 करोड़ खाते प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए हैं, जिनमें 40,750 करोड़ रुपए की राशि जमा है।