नई दिल्ली। भारत से अनुमानित तौर पर 505 अरब डॉलर (लगभग 34 लाख करोड़ रुपए) कालाधन बाहर भेजे जाने की बात को सरकारी एजेंसी ने बड़ी अतिशयोक्ति (बढ़ा-चढ़ा कर पेश करना) करार दिया है। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने इस तरह की रिपोर्ट के बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कालेधन पर बिठाई गई जांच समिति (एसआईटी) को अपनी राय से अवगत करा दिया है।
वाशिंगटन के एक गैर लाभकारी शोध एवं सलाहकार संगठन ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी (जीएफआई) ने अपनी इलिसिट फाइनेंशियल फ्लोस फ्रॉम डेवलपिंग कंट्रीज 2004-2013 रिपोर्ट में भारत से 505 अरब डॉलर (वर्तमान विनियम दर पर लगभग 34 लाख करोड़ रुपए) का कालाधन बाहर जाने का अनुमान लगाया था। इस रिपोर्ट से भारत में राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एम. बी. शाह की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया था। इस पर एसआईटी ने फरवरी में डीआरआई को इसकी सच्चाई पता करने के लिए कहा था।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि इसके बाद डीआरआई ने इसकी पड़ताल की और इस रकम को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया पाया। आरआई ने इस बारे में जीएफआई से विवरण भी मांगा था। सूत्रों ने कहा कि डीआरआई की रपट एसआईटी को दी जा चुकी है जो कि इस एजेंसी के अधिकारियों को अमेरिका और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में भेजने का विचार कर रही है ताकि ऐसे धन का वास्तविक अनुमान लगाया जा सके। सूत्रों के अनुसार व्यापार बिलों में हेराफेरी और मनी लांडरिंग से बार भेजे गये धन की मात्रा इससे कम हो सकती है।