Saturday, November 02, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. घरेलू खिलौनों को बढ़ावा देने पर सरकार का जोर, ये हैं देश के 5 मशहूर पारंपरिक डॉल्स और खिलौने

घरेलू खिलौनों को बढ़ावा देने पर सरकार का जोर, ये हैं देश के 5 मशहूर पारंपरिक डॉल्स और खिलौने

भारत में खिलौनों का अपना इतिहास है, आज भी भारत में कारीगर ऐसे खिलौने बना और उपलब्ध करा रहे हैं, जो पिछले 300 सालों से बच्चों को खेल खेल में सिखाने का काम कर रहे हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: August 30, 2020 12:36 IST
देश के प्रमुख...- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

देश के प्रमुख पारंपरिक खिलौने

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात में घरेलू खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने की बात की। हालांकि भारत में आज के युवा और बच्चे पारंपरिक खिलौनों के बारे में काफी कम जानते हैं। खास तौर पर तब जबकि विदेशों में इनको अच्छी खासी शोहरत मिली हुई है। जानिए देश की 5 मशहूर पारंपरिक डॉल्स और  खिलौनों के बारे में।

चन्नपटना खिलौने

चन्नपटना खिलौनों का इतिहास 300 साल पुराना है। कहा जाता है कि टीपू सुल्तान के शासन काल में लाख का बना ये खिलौना बच्चों का दिल बहला रहा था। तब से अब तक इस कला ने देश विदेश में अपनी पहचान बनाई है। इसे बनाने वाले शुरुआती कारीगर बैंग्लुरू के करीब चन्नपटना में बस गए जिसके बाद से इन खिलौनों का नाम चन्नपटना खिलौने पड़ गया।

तंजौर डॉल्स

तंजौर या तंजावुर खिलौनों के बारे में कई तमिल साहित्य में जानकारी मिलती है। आपने भी कई जगह, या फिल्मों में ये डॉल देखी होंगी, जिनका सर और शरीर ऐसे हिलता है जैसे की ये नाच रही हैं। इसलिए इन्हें तंजौर  की डॉन्सिंग डॉल्स भी कहा जाता है। इन डॉल्स की दुनिया भर में मांग है।

कोंडापल्ली खिलौने

आंध्र प्रदेश स्थित विजयवाड़ा जिले में बने लकड़ी के कोंडापल्ली खिलौने काफी प्रसिद्ध है। जो कारीगर इस पेशे में हैं उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी की आजीविका इसी कला पर निर्भर है। कोंडापल्ली आंध्र प्रदेश का एक औद्योगिक कस्बा है, जिसकी पहचान ही इन खिलौने के कारण है। इस तरह के खिलौनो में पहले अलग अलग हिस्से बनाए जाते हैं जिन्हें बाद में एक साथ जोड़ दिया जाता है। खिलौनों को गांवों से जुड़ी जिंदगी को देखते हुए बनाया जाता है, इसलिए इन खिलौनों में भारत के ग्रामीण जीवन की झलक दिख जाती है।    

निर्मल खिलौने

तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में स्थित निर्मल खिलौने भी दुनिया भर में मशहूर हैं। इस शहर का नाम 17वीं सदी के शासक निम्मा नायडू के नाम पर पड़ा। कला और खिलौना निर्माण के क्षेत्र में उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने कई  कारीगरों को इकट्ठा किया और यहां खिलौना-निर्माण उद्योग की नींव रखी, जिसके कारण उनके शहर को सांस्कृतिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। इस कला को फिर से अपनी पुरानी शोहरत तक पहुंचाने की मांग जारी है। इन खिलौनो का निर्माण एक खास लकड़ी से किया जाता है। कारीगरों का दावा है कि ये खिलौने न तो आसानी से टूटते हैं और न ही खराब होते हैं।

राजस्थान की कठपुतली

राजस्थान की कठपुतली को देश विदेशी में काफी शोहरत मिल चुकी है। राजस्थान घूमने आने वाले विदेशी अक्सर अपने साथ कठपुतलियां लेकर जाते हैं। इनकी विदेशी में अच्छी खासी डिमांड है। कठपुतली वास्तव में एक खेल या प्रदर्शन का हिस्सा है। लेकिन अब लोग इसे सजाने के लिए भी खरीदते हैं, वहीं बच्चे भी इसके साथ खेलना पसंद करते हैं।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement