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स्‍टार्टअप्‍स को लॉन्‍च करने से पहले अगर इन पांच गलतियों पर दिया ध्‍यान, तो मिलेगी सफलता

यदि आपने उन पांच गलतियों को स्‍टार्टअप्‍स को लॉन्‍च करने से पहचान लिया, तो आपके पास अपने स्‍टार्टअप्‍स को सफल बनाने के अवसर बहुत अधिक बढ़ जाते हैं।

Dharmender Chaudhary
Published on: April 20, 2016 7:55 IST
5 Deadly Mistakes: स्‍टार्टअप्‍स को अगर बनाना है सफल, तो न करें यह पांच गलतियां- India TV Paisa
5 Deadly Mistakes: स्‍टार्टअप्‍स को अगर बनाना है सफल, तो न करें यह पांच गलतियां

नई दिल्‍ली। भारत में स्‍टार्टअप्‍स को लेकर एक कठोर सच्‍चाई है कि 90 फीसदी स्‍टार्टअप्‍स सफल नहीं हैं। इसे दूसरे शब्‍दों में कहें तो प्रत्‍येक 10 स्‍टार्टअप्‍स में से 9 विफल हैं। यह सच्‍चाई है और आप इसके लिए कुछ नहीं कर सकते। लेकिन यदि आपने उन पांच गलतियों को स्‍टार्टअप्‍स को लॉन्‍च करने से पहचान लिया, जो अधिकांश स्‍टार्टअप्‍स को विफल बनाती हैं, तो आपके पास अपने स्‍टार्टअप्‍स को सफल बनाने के अवसर बहुत अधिक बढ़ जाते हैं। यह सच्‍चाई है‍ कि विफलताओं से ही आदमी सीखता है, लेकिन यह कोई नहीं बताता कि इसमें उसे कितना धन और समय गंवाना पड़ा है। इससे अच्‍छा है कि हम दूसरों की विफलताओं से कुछ सीखें, इससे आपका धन और समय दोनों की बचत होगी। आइए जानते हैं वो पांच कौन सी खतरनाक गलती हैं जो आपके स्‍टार्टअप को लॉन्‍च होने से पहले ही मार सकती हैं।

गलती नंबर 1: यह मान लेना कि आपको पता है कि ग्राहक क्‍या चाहते हैं

स्‍टार्टअप की दुनिया में आपको अपने निर्णय स्‍वयं के अनुमानों के आधार पर नहीं लेना चाहिए। पहली बार स्‍टार्टअप की शुरुआत करने वाले अधिकांश लोग इस बात से अनभिज्ञ होते हैं और यही वजह है कि वह सफल नहीं हो पाते। सीबी इनसाइट के एक सर्वे में 42 फीसदी स्‍टार्टअप्‍स ने बताया कि बाजार में उनके उत्‍पादों की कम जरूरत ही उनके विफल होने की सबसे पहली वजह है। अधिकांश फेल हुए स्‍टार्टअप्‍स ने एक इन्‍नोवेटिव आइडिया खोजा, उस आइडिया को प्रोडक्‍ट में बदलने के लिए महीनों खर्च किए। प्रोडक्‍ट आइडिया को डिजाइन करने में भी काफी समय खर्च किया। जब यह प्रोडक्‍ट लॉन्‍च किया गया तो पता चला कि उनके आइडिया के लिए बहुत छोटा या शून्‍य मार्केट है। इस तरह के स्‍टार्टअप्‍स अपने महत्‍वपूर्ण समय और धन को बचा सकते थे यदि वे अपने अनुमानों पर नहीं, बल्कि सच्‍चाई पर आधारित निर्णय लेते। किसी स्‍टार्टअप पर काम शुरू करने से पहले, सबसे पहले अपने ग्राहक की जरूरत को समझने पर समय खर्च करें। ऐसा प्रोडक्‍ट तैयार करने की कोशिश कतई न करें जो पहले से ही समान समस्‍या का समाधान उसी तरीके से कर रहा है, जिसके जरिये आप करना चाहते हैं। आपको हमेशा कुछ अलग करने की कोशिश करनी चाहिए। किसी आइडिया को प्रोडक्‍ट का रूप देने से पहले अपने ग्राहकों से मिलें और उनके बीच सर्वे करें। किसी आइडिया को प्रोडक्‍ट में बदलने से पहले अपने आप से कुछ सवाल जरूर पूछें:

कौन लोग आपके प्रोडक्‍ट को खरीदेंग, जिसे आप तैयार कर रहे हैं?

आपके प्रोडक्‍ट के लिए लोग कितनी कीमत चुकाना चाहते हैं?

क्‍या आपका प्रोडक्‍ट वास्‍तविक जरूरत को पूरा करने में मदद करेगा?

क्‍या प्रतिस्‍पर्धी की तुलना में आपका प्रोडक्‍ट ज्‍यादा बेहतर है?

यह भी पढ़ें: भारतीय स्‍टार्टअप्‍स के ऊपर से छंटे सुस्‍ती के बादल, 2016 में निवेश ने पकड़ी फि‍र रफ्तार

गलती नंबर 2: विशेषज्ञों की कमी

आपके पास एक अच्‍छा प्रोडक्‍ट और बैंक एकाउंट में कुछ लाख रुपए हो सकते हैं, लेकिन आपके पास सही अनुभव और अच्‍छे लोग नहीं हैं तो आपका स्‍टार्टअप विफल हो सकता है। सही टीम और अनुभव ही आपके स्‍टार्टअप को सही परिणाम दे सकता है। सभी चीजों के लिए अपने आप को बेहतर मान लेना ही दूसरी सबसे बड़ी गलती हो सकती है। जो चीजें आप नहीं कर सकते उसके लिए आपको विशेषज्ञों की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए आपको टैक्‍स और लीगल मुद्दों के लिए अनुभवी लोगों की आवश्‍यकता होगी। ऑनलाइन फ्री गाइल डाउनलोड कर आप यह सब चीजें नहीं सीख सकते। एक ऐसे विशेषज्ञ की खोज करें, जिसका काम यह हो कि वह वास्‍तव में जानता हो कि आपको किस चीज की जरूरत है। उदाहरण के लिए, सही वकील की नियुक्ति एक स्‍टार्टअप के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है। आपको एक वकील की जरूरत होती है जो आपको गाइड करे, ताकि आप किसी भी सरकारी नियम का उल्‍लंघन न करें। आपका वकील यह भी सुनिश्चित करेगा कि फाउंडर्स अपने अधिकारों को जानें। कर्मचारियों की भर्ती, फंड जुटाने और प्रोडक्‍ट के लिए पेटेंट हासिल करने के वक्‍त भी आपको वकील की जरूरत पड़ेगी। इसी तरह आपको अन्‍य अनुभवी लोगों की जरूरत पड़ेगी, जैसे डिजाइनर्स, डेवलपर्स, इंडस्‍ट्री कंसल्‍टैंट्स, एसईओ और पब्लिक रिलेशन प्रोफेशनल्‍स आदि।

गलती नंबर 3: महत्‍वपूर्ण मेट्रिक्‍स की उपेक्षा

सफल स्‍टार्टअप एक रात में नहीं बनता। न ही यह कोई जादू से बनता है। सही सोच, अनुभव और लक्ष्‍य के साथ चलने वाला ही इसे हासिल कर सकता है। स्‍टार्टअप को लॉन्‍च करने से पहले आपको पहले कुछ नंबर्स को पता करना होगा। अधिकांश स्‍टार्टअप्‍स पहले बीटा वर्जन पर अपने आप को लॉन्‍च करते हैं ता‍कि वह अपने यूजर्स या कस्‍टमर्स के बारे में जानकारी हासिल कर सकें। आपको भी अपने स्‍टार्टअप के साथ ऐसा ही करना होगा। ऐसा करने से आप अपने प्रोडक्‍ट में और सुधार कर पाएंगे और इसके यूजर्स के अनुभव को बढ़ा पाएंगे। अपने प्रोडक्‍ट का बीटा वर्जन लॉन्‍च करने से पहले आपको कुछ महत्‍वपूर्ण मेट्रिक्‍स पर भी ध्‍यान देना चाहिए। यदि आपका  स्‍टार्टअप बीटा के दौरान कुछ लक्ष्‍यों को हासिल करने में सफल नहीं होता है, तो यह इस बात का संकेत है कि कुछ ठीक नहीं है और इसे सुधारने की जरूरत है।

उदाहरण के लिए, यदि आपकी कस्‍टमर एक्‍वीजिशन कॉस्‍ट (सीएसी) बीटा के दौरान बहुत अधिक है तो यह इस बात का संकेत है कि आपको सस्‍ते या फ्री मार्केटिंग रणनीति की जरूरत है। यदि आपका चर्न रेट (वह रेट जिस पर कस्‍टमर आपके प्रोडक्‍ट का उपयोग करना बंद कर देता है) बहुत ज्‍यादा है, तो यह इस बात का संकेत है कि आपको अपने प्रोडक्‍ट यूजर्स के अनुभव को सुधारने की जरूरत है या भिन्‍न कस्‍टमर को टारर्गेट करने की आवश्‍यकता है। यहां कुछ महत्‍वपूर्ण मेट्रिक्‍स हैं जिनपर आपको ध्‍यान देना चाहिए:

कनवर्जन रेट (यह वह रेट है जिस पर आपकी वेबसाइट पर आने वाले विजिटर्स कस्‍टमर्स में परिवर्तित होते हैं)

रिक्‍यूरिंग रेवेन्‍यू (पुराने कस्‍टमर्स से हर माह प्रोप्‍त होने वाली राशि)

रिटेनशन रेट (इस रेट से पता चलता है कि फर्स्‍ट टाइम यूजर्स लगातर आपके प्रोडक्‍ट को कितने महीने या साल तक यूज कर रहा है)

लाइफ टाइम कस्‍टमर वैल्‍यू(इससे यह पता चलता है कि कोई कस्‍टमर कितने समय से आपकी कंपीन के साथ जुड़ा हुआ है)

गलती नंबर 4: पर्याप्‍त पूंजी का अभाव

यदि आपके पास अपने आइडिया को साकाररूप देने के लिए पर्याप्‍त पूंजी नहीं है तो ऐसा स्‍टार्टअप अपने आप ही मर जाता है। स्‍टार्टअप फाउंडर्स के मुताबिक स्‍टार्टअप के विफल होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण पर्याप्‍त पूंजी का न होना है। स्‍टार्टअप के रूप में आपको सीखने, परीक्षण और अपने प्रोडक्‍ट में विभिन्‍न बदलाव या सुधार करने की जरूरत होती है। इसके लिए धन की आवश्‍यकता होती है। आपके कई परीक्षण फेल भी होते हैं। कुछ परीक्षण आपके स्‍टार्टअप को कुछ आगे बढ़ाते हैं, लेकिन कुछ परीक्षण महंगे भी होते हैं। इस चरण में आप कोई मुनाफा नहीं कमाते हैं। इसलिए इस परीक्षण के चरण में अपने स्‍टार्टअप को जिंदा रखने के लिए आपको पर्याप्‍त पूंजी की जरूरत होती है।

गलती नंबर 5: लॉन्‍च करने में बहुत अधिक देरी करना

प्रत्‍येक फीचर पर बहुत अधिक फोकस करने और लॉन्‍च से पहले इसे पूरी तरह से सही करने की कोशिश करना अधिकांश स्‍टार्टअप द्वारा की जाने वाली सामान्‍य गलती है। और यही गलती भारी पड़ती है। यहां हमेशा एक नया फीचर जोड़ने की जरूरत होती है, हमेशा हर फीचर को बेहतर बनाने की और हमेशा कुछ ऐसा होता है जो सही नहीं दिखता। आज हम जितने सफल प्रोडक्‍ट का इस्‍तेमाल कर रहे हैं उनका पहला वर्जन खराब था, लेकिन बदतर नहीं था।

यदि आप लॉन्‍च के लिए बहुत अधिक इंतजार करते हैं, तो आपका प्रतिद्वंदी आपसे आगे निकल सकता है और वह फर्स्‍ट-मूवर एडवांटेज हासिल कर सकता है। सबसे पहले लॉन्‍च करने से आपको अपने प्रोडक्‍ट को रिव्‍यू करने और फीडबैक हासिल करने में मदद मिलती है, जिनकी मदद से आप अपने प्रोडक्‍ट को और इम्‍प्रूव कर सकते हैं।

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