नई दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि कृषि अवशेष, गोबर और स्थानीय निकायों के ठोस कचरे से बायो गैस सृजित करने के लिए अगले पांच साल में 1.75 लाख करोड़ रुपए के निवेश से 5,000 बायो गैस संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई गई है।
प्रधान ने कहा कि तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता कम करने के मकसद से सार्वजनिक क्षेत्र की ईंधन विपणन कंपनियां इन संयंत्रों से उत्पादित सभी बायोगैस 46 रुपए किलो पर खरीदेंगी। भारत अपनी कुल तेल जरूरतों में से 81 प्रतिशत से अधिक को आयात से पूरा करता है। इसमें कमी लाने के लिए कृषि अवशेष, ठोस कचरा, गोबर, और दूषित जल शोधित संयंत्रों से निकलने वाले अवशिष्ट आदि से बायोगैस उत्पादन की योजना है।
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि हमने कम्प्रेस्ड बायो-गैस (सीबीजी) पेशकश को लेकर आज उत्पादकों से रुचि पत्र आमंत्रित किया है। तेल कंपनियां परिवहन के लिए ईंधन के रूप में इसका उपयोग कर सकती हैं। सीबीजी आने के बाद यह कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) का स्थान लेगी। फिलहाल सीएनजी का उपयोग बसों, कार और ऑटो में किया जाता है।
प्रधान ने कहा कि सीबीजी के लिए कीमत 46 रुपए किलो रखी गई है, जो घरेलू नेचुरल गैस से अधिक है। इसके अलावा 100 प्रतिशत खरीद की गारंटी दी जा रही है। देश में 14.6 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन प्राकृतिक गैस की खपत की जा रही है, इसमें से 56 प्रतिशत का आयात किया जाता है।
मंत्री ने कहा कि देश में कचरे से 6.2 करोड़ टन सीबीजी उत्पादन की क्षमता है और इसके उपयोग से ऊर्जा में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ेगी, जो फिलहाल 6 से 7 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में 5,000 सीबीजी संयंत्र लगाने का प्रस्ताव है, जिससे प्रत्यक्ष रूप से 75,000 रोजगार मिलेंगे। प्रधान ने कहा कि इसमें 1.75 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा। उन्होंने कहा कि रुचि पत्र 31 मार्च 2019 तक वैध हैं लेकिन पहले सीबीजी संयंत्र से उत्पादन इसी तिमाही में शुरू हो सकता है।