नई दिल्ली। देश में ढांचागत क्षेत्र से जुड़ी 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक के पूंजी व्यय वाली 470 परियोजनाओं के विभिन्न कारणों से समय पर पूरा नहीं होने से लागत 4.38 लाख करोड़ रुपये बढ़ गयी है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड और उससे ऊपर की लागत वाली परियोजनाओं पर नजर रखता है। ऐसी कुल 1,737 परियोजनाओं में से 470 की लागत बढ़ी है जबकि 525 के क्रियान्वयन में देरी हुई है।
देरी से कितना बढ़ा खर्च
मंत्रालय की अप्रैल 2021 की ताजी रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कुल 1,737 परियोजनाओं की क्रियान्वयन लागत मूल रूप से 22,33,409.53 करोड़ रुपये थी जो बढ़कर अब लगभग 26,71,440.77 करोड़ रुपये पहुंच जाने का अनुमान है। यानी कुल लागत में 4,38,031.24 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। यह मूल लागत का 19.61 प्रतिशत है। रिपोर्ट के मुताबिक इन परियोजनाओं पर कुल व्यय अप्रैल 2021 तक 13,16,032.62 करोड़ रुपये रहा जो परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 49.26 प्रतिशत है। हालांकि इसमें कहा गया है कि परियोजनाओं को पूरा करने के लिये नई समयसीमा के आधार पर देरी वाली परियोजनाओं की संख्या घटकर 375 रह गयी है। इसके अलावा 988 परियोजनाओं के क्रियान्वयन वर्ष या उसके पूरा होने में लगने वाले अनुमानित समय के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है।
जानिये कितनी हुई देरी और क्या रही वजह
देरी वाली कुल 525 परियोजनाओं में से 106 परियोजनाओं में 1 से 12 महीने जबकि 123 परियोजनाओं के मामले में 13 से 24 महीने की देरी हुई है। 179 परियोजनाओं में 25 से 60 महीने और 117 परियोजनाओं में 61 महीने या उससे अधिक की देरी हुई है। सभी 525 परियोजनाओं में औसतन देरी 45.63 महीनों की है। परियोजनाओं में देरी का कारण जमीन अधिग्रहण में विलम्ब, वन और पर्यावरण मंजूरी हासिल करने में समय लगना, बुनियादी ढांचा समर्थन का अभाव और आपूर्ति से जुड़ी समस्याएं हैं। इसके अलवा वित्त पोषण में देरी, विस्तृत इंजीनियरिंग रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में विलम्ब, निविदा में देरी, कानून व्यवस्था की समस्या समेत अन्य कारणों से भी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में समस्या हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये विभिन्न राज्यों में लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के कारण भी परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी हुई है।
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