नई दिल्ली। मुखौटा कंपनियों के खिलाफ सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान से करीब 4.5 लाख निदेशकों पर गाज गिर सकती है। केंद्रीय कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री पी पी चौधरी ने आज कहा कि सरकार ने कालेधन के खिलाफ अपनी लड़ाई को तेज कर दिया है। मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई के सिलसिले में इनसे जुड़े करीब 4.5 लाख निदेशकों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
चौधरी ने जोर देकर कहा कि नियमों का पालन करने वाली सही कंपनियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी। इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि अनुपालन नहीं करने वाली कंपनियों की वजह से अच्छी कंपनियों की छवि भी प्रभावित हो रही है। कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय मुखौटा कंपनियों को पूरी तरह समाप्त करने का प्रयास कर रहा है। ऐसी कंपनियां जो लंबे समय से कारोबार नहीं कर रही हैं और उनका इस्तेमाल गैरकानूनी धन के प्रवाह के लिए किया जा रहा है, मुखौटा कंपनियां कहलाती हैं। चौधरी ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा कि सभी अयोग्य घोषित निदेशकों की पृष्ठभूमि की जांच की जाएगी।
मंत्रालय ने 22 सितंबर तक 2,17,239 कंपनियों का नाम रिकॉर्ड से हटाया था। ये कंपनियां लंबे समय से कारोबारी गतिविधियां नहीं कर रही हैं और साथ ही इन कंपनियों ने अनिवार्य रूप से जानकारी देने में चूक की है। मंत्रालय इस तरह की और कंपनियों पर भी कार्वाई की तैयारी कर रहा है। चौधरी ने बताया कि 22 सितंबर तक कंपनी कानून, 2013 की धारा 164 (2) (ए) के तहत 3,19,637 ऐसे निदेशकों की पहचान की गई और उन्हें अयोग्य घोषित किया गया।
अनुमान है कि अंतिम आंकड़ा 4.5 लाख तक पहुंच जाएगा। धारा 164 निदेशक को अयोग्य घोषित करने से संबंधित है। उपधारा 164(2) (ए) के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी कंपनी में निदेशक है और उस कंपनी ने लगातार तीन विा वर्षों तक विाीय ब्योरा या वार्षिक रिटर्न नहीं दिया है तो उसे अयोग्य घोषित किया जाएगा। चौधरी ने कहा कि ऐसे निदेशकों की पृष्ठभूमि की जांच करना और उनके अन्य कंपनियों से संबंध का पता लगाना भी महत्वपूर्ण है। मंत्री ने कहा कि निष्क्रिय कंपनियों को बंद करने और उनके निदेशकों को अयोग्य घोषित करने से कारोबार सुगमता की स्थिति सुधरेगी। यह उन कंपनियों के लिए भी अच्छा होगा जो नियमों का पालन कर रही हैं।