नई दिल्ली। दीपावली का त्यौहार आमतौर पर कारोबार और व्यापार जगत के लिए उत्साहवर्धक रहता है पर असंगठित क्षेत्र के व्यापारियों के एक प्रमुख का कहना है कि इस साल नोटबंदी तथा जीएसटी के कारण यह तस्वीर बदली हुई थी। संगठन का दावा है कि इस दीपावली बिक्री में पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत की गिरावट आई और यह पिछले दस सालों की सबसे सुस्त दीपावली मानी जा रही है।
खुदरा कारोबारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज जारी बयान में कहा कि कि देश में सालाना करीब 40 लाख करोड़ रुपए का खुदरा कारोबार होता है। इसमें संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी महज पांच प्रतिशत है, जबकि शेष 95 प्रतिशत योगदान असंगठित क्षेत्र का है। दीपावली त्यौहार के दस दिन पहले से शुरू होने वाली त्यौहारी बिक्री पिछले सालों में करीब 50 हजार करोड़ रुपए की रही है। इस साल यह 40 प्रतिशत नीचे गिर गई और इस दृष्टि से यह पिछले दस सालों की सबसे खराब दीपावली रही।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बाजारों में उपभोक्ताओं की कम उपस्थिति, सीमित खर्च आदि इस दीपावली पर कारोबार कम रहने के मुख्य कारण हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के बाद अस्थिर बाजार तथा जीएसटी व्यवस्था की दिक्कतों ने बाजार में संशय का माहौल तैयार किया, जिसने उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों की धारणा प्रभावित की।
रेडीमेड कपड़े, उपहार के सामान, रसोई के सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद, एफएमसीजी वस्तुएं, घड़ियां, बैग-ट्रॉली, घर की साज-सज्जा, सूखे मेवे, मिठाइयां, नमकीन, फर्निचर, लाइट-बल्ब आदि चीजें दीपावली के दौरान मुख्य तौर पर खरीदी जाती हैं। कैट ने कहा कि व्यापारियों की उम्मीदें अब विवाह के सीजन पर लगी हुई हैं।