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हर रोज नए रिकॉर्ड बना रहे हैं भारतीय शेयर बाजार, इसके बारे में ये चार महत्‍वपूर्ण बातें आपके लिए जानना हैं जरूरी

आज IndiaTVPaisa.com आपको शेयर बाजार में होने वाली रोज की उठा-पठक के अलावा कुछ जरूरी जानकारी देने जा रहा है। सभी के बारे में हम यहां एक-एक कर समझेंगे।

Abhishek Shrivastava
Published : July 27, 2017 17:48 IST
हर रोज नए रिकॉर्ड बना रहे हैं भारतीय शेयर बाजार, इसके बारे में ये चार महत्‍वपूर्ण बातें आपके लिए जानना हैं जरूरी
हर रोज नए रिकॉर्ड बना रहे हैं भारतीय शेयर बाजार, इसके बारे में ये चार महत्‍वपूर्ण बातें आपके लिए जानना हैं जरूरी

नई दिल्‍ली। बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सेंचज (बीएसई) का संवेदी सूचकांक सेंसेक्‍स 32,000 का जादूई आंकड़ा पार करते हुए गुरुवार को 32,383 अंक पर बंद हुआ है। वहीं नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी भी 10,000 की ऊंचाई को पार कर 10,020 अंक पर बंद हुआ। अंतरराष्‍ट्रीय संकेतों, विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर बढ़ता भरोसा, विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि और कम होती महंगाई दर के साथ ही केंद्र में स्थिर और मजबूत सरकार ऐसे तमाम कारण हैं, जिनकी वजह से शेयर बाजारों में तेजी को समर्थन मिल रहा है।

आज IndiaTVPaisa.com आपको शेयर बाजार में होने वाली रोज की उठा-पठक के अलावा कुछ जरूरी जानकारी देने जा रहा है। शेयर बाजार क्‍या होता है, देश में कितने शेयर बाजार हैं, यहां कैसे कारोबार होता है और इनके सूचकांकों की दिशा कैसे तय होती है, इन सभी के बारे में हम यहां एक-एक कर समझेंगे।

शेयर या स्‍टॉक एक्‍सचेंज

किसी कंपनी के एक निश्चित हिस्से पर मालिकाना हक का प्रमाणित दस्तावेज शेयर कहलाता है। शेयर बाजार (स्टॉक एक्सचेंज) वह जगह होती है जहां सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों की खरीद-फरोख्त होती है। इसे सेकेंडरी मार्केट भी कहा जाता है क्योंकि यहां कंपनी और ग्राहकों के बजाये  निवेशकों के बीच ही कारोबार होता है। कोई भी कंपनी इसमें अपनी सीधी भागीदारी नहीं निभाती। कंपनी पूंजी जुटाने के लिए आईपीओ के जरिये  अपने शेयर को प्राइमरी मार्केट में उतारती है। प्राइमरी मार्केट में आने के बाद ही ये शेयर स्टॉक एक्सचेंजों में निवेशकों के आपसी कारोबार के लिए उपलब्ध हो पाते हैं। स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों के कारोबार से ही पता चलता है कि किसी कंपनी के प्रदर्शन और संभावना को बाजार किस तरह आंक रहा है।

देश में अभी शेयर बाजारों पर नियंत्रण रखने वाली संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से मान्यता प्राप्त कुल 23 शेयर बाजार हैं। लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज हैं। देश का 90 प्रतिशत से ज्यादा शेयर कारोबार इन दो बाजारों में ही हो रहा है। देश के शेयर बाजारों में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण मूल्य दो लाख करोड़ डॉलर से भी ऊपर पहुंच चुका है।

भारत में शेयर बाजार में निवेश अभी तक बहुत लोकप्रिय नहीं है। एक अनुमान के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था का केवल चार फीसदी हिस्सा ही शेयर कारोबार में शामिल है। कई विकसित देशों में आधी से ज्यादा अर्थव्यस्था शेयर बाजार का हिस्सा होती है। वहीं ऑनलाइन शेयर कारोबार के लिए जरूरी डीमैट अकाउंट अभी भारत में केवल 2.7 करोड़ हैं। पहले देश के शेयर बाजारों में सिर्फ भारतीय ही कारोबार कर सकते थे, लेकिन 2012 से विदेशी नागरिकों को भी इसकी इजाजत दे दी गई। इससे अब दुनिया के किसी भी हिस्से से इन स्टॉक एक्सचेंजों में ऑनलाइन  कारोबार किया जा सकता है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और सेंसेक्स

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना जुलाई 1875 में तब के बड़े कपड़ा कारोबारी प्रेमचंद रायचंद ने मुंबई (बॉम्बे) के दलाल स्ट्रीट में की थी। हालांकि इसकी अनौपचारिक शुरुआत उन्होंने 1855 में ही कर दी थी। बीएसई में इस समय 5700 से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध हैं। इसे प्रतिभूति अनुबंध अधिनियम 1956 के तहत 1957 में सरकार की मान्यता मिली। इसका मतलब यह कतई नहीं कि बीएसई सरकारी कंपनी है। यह एक निजी कंपनी है, जिसके शेयर कई सरकारी और निजी कंपनियों के पास हैं। बीएसई नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध भी है। इस साल जनवरी में कंपनी ने अपना आईपीओ जारी किया था। शेयर बाजार पर किसी का एकाधिकार न हो इसके लिए बीएसई और एनएसई में शेयरधारकों की शेयर रखने की क्षमता सीमित रखी गई है।

सेंसेक्स का नामकरण अर्थशास्त्री दीपक मोहानी ने सेंसेटिव इंडेक्स का संक्षिप्त रूप लेकर किया था। इसमें बीएसई की 30 चुनिंदा कंपनियों के शेयरों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। इसलिए इसे बीएस-30  भी कहा जाता है। फरवरी 2013 में सेंसेक्स की गणना के लिए अमेरिका की मशहूर वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स की सहायता लेने का करार हुआ। तब से बीएसई सेंसेक्स के नाम के आगे एसएंडपी शब्द जुड़ गया।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और निफ्टी

नब्बे के आर्थिक संकट के बाद देश के शेयर बाजार में सुधार के लिए मनोहर फेरवानी समिति का गठन किया गया था। सितंबर 1991 में तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में समिति ने एनएसई के गठन की सिफारिश की। समिति ने शेयर बाजार को ज्यादा पारदर्शी, आधुनिक और प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिए भी सुझाव दिए। इसके बाद सरकार ने 1992 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज बनाने का निर्णय लिया। यह देश का पहला इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज बना, जहां बिना किसी ब्रोकर की सहायता के शेयरों की खरीद-बिक्री करना संभव हो पाया। इसे पूर्णत: स्वचालित और स्क्रीन-बेस्ड इलेक्ट्रॉनिक कारोबार के लिए ही बनाया गया था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में भी यह सुविधा बाद में आई। आज एनएसई बीएसई से भी बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बन चुका है। लेन-देन की संख्या के लिहाज से एनएसई में अब बीएसई की तुलना में करीब पांच गुना ज्यादा कारोबार हो रहा है। एनएसई की स्थापना के बाद देश के दूसरे स्टॉक एक्सचेंज असरहीन होते चले गए। कई तो एनएसई का ही हिस्सा बन गए।

सरकार ने एनएसई को अप्रैल 1993 में प्रतिभूति अनुबंध अधिनियम, 1956 के तहत मान्यता दी थी। वैसे एनएसई के लगभग आधे शेयर एलआईसी, एसबीआई, आईएफसीआई, आईडीबीआई जैसी सरकारी कंपनियों के पास हैं। लेकिन बीएसई की तरह यह भी एक निजी कंपनी है। एनएसई के सभी 11 सूचकांकों में सबसे महत्वपूर्ण निफ्टी-50 या निफ्टी है। यह अंग्रेजी के दो शब्दों नेशनल और फिफ्टी से मिलकर बना है।  इसका अस्तित्व 22 अप्रैल 1996 से है। जैसा की नाम से भी जाहिर है, निफ्टी एनएसई की 50 चुनिंदा कंपनियों (अब 51) का प्रति​निधित्व करता है। निफ्टी में वित्तीय सेवा, एनर्जी, आईटी, ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता उत्पाद, फार्मा और निर्माण क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों की हिस्सेदारी है।

सेंसेक्स और निफ्टी का निर्धारण

सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही सूचकांकों में होने वाले परिवर्तन को मापने के लिए हमारे देश में फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटालाइजेशन (एफएफएमसी) नाम का तरीका अपनाया जाता है। इसके तहत सभी कंपनियों के बाजार में उपलब्ध शेयरों (कुल शेयरों के आधार पर नहीं) की कुल कीमत के आधार पर गणना की जाती है। हालांकि 2003 तक सेंसेक्स का निर्धारण इसकी 30 कंपनियों के सभी शेयरों के कुल बाजार मूल्य के आधार पर किया जाता था।

इस पद्धति से सूचकांक में परिवर्तन को हम एक उदाहरण से समझते हैं। माना कि किसी कंपनी के कुल एक लाख शेयर हैं, जिनमें 30 हजार उसके मालिक और 70 हजार आम लोगों के पास हैं। अब यह मानते हैं कि एक जुलाई 2017 को इस कंपनी के एक शेयर का मूल्य 1,000 रुपए है। एफएफएमसी पद्धति में आम लोगों वाले 70 हजार शेयरों का ही ध्यान रखा जाता है। यानी इस पद्धति के अनुसार उस कंपनी के बाजार में उपलब्ध कुल शेयरों की कीमत सात करोड़ रुपए होगी। यही तरीका सेंसेक्स की सभी 30 और निफ्टी के 50 प्रति​निधि कंपनियों के शेयरों पर लागू किया जाता है। इस तरह एक जुलाई, 2017 को सूचकांक के सभी प्रति​निधि कंपनियों के बाजार में उपलब्ध शेयरों का कुल मूल्य प्राप्त हो जाएगा।

माना कि यह योग 320 करोड़ रुपए है। इसके बाद पता करना होगा कि एक अप्रैल, 1979 (सेंसेक्स की आधार तिथि) या 3 नवंबर, 1995 (निफ्टी की आधार तिथि) के दिन ऐसी सभी कंपनियों के बाजार में उपलब्ध शेयरों का बाजार मूल्य कितना था। माना कि वह राशि उस समय एक करोड़ रुपए थी। तो आज का सूचकांक प्राप्त करने के लिए हमें 320 करोड़ (नया मूल्य) में एक करोड़ (पुराना मूल्य) से भाग देकर प्राप्त हुई राशि में 100 या 1,000 (सूचकांक का आधार मूल्य) से गुणा करना होगा। यही यानी 32,000 आज की तारीख में बाजार के सूचकांक का स्तर कहा जाएगा।

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