नई दिल्ली: देरी और अन्य कारणों से बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 362 परियोजनाओं की लागत 3.39 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई है। ये सभी परियोजनाएं 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक की हैं। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MOSPI) 150 करोड़ रुपये और उससे अधिक की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है।
मंत्रालय की अगस्त, 2018 की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है, "1417 परियोजनाओं की कुल मूल लागत 17,38,095.86 करोड़ रुपये थी। अब इन परियोजनाओं के पूरी होने की अनुमानित लागत बढ़कर 20,77,898.81 रुपये के आसपास हो चुकी है। इसके चलते परियोजनाओं की लागत में मूल लागत से 19.55 प्रतिशत यानी 3,39,802.95 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है।
इन 1,417 परियोजनाओं में से 362 परियोजनाओं की लागत बढ़ गई है और 317 परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं किया जा सका है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन परियोजनाओं पर अगस्त 2018 तक कुल 7,76,351.56 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जो कि अनुमानित लागत का करीब 37.36 प्रतिशत है।
हालांकि, देरी वाली परियोजनाओं की संख्या घटकर 249 हो गई है। ये आंकलन इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तय की गई ताजा समयसीमा के हिसाब से किया गया है। रिपोर्ट में 694 परियोजनाओं के बारे में ये नहीं बताया गया है कि वो कब शुरू की गई थीं। देरी से चल रही 317 परियोजनाओं में से 86 परियोजनाएं 1 से 12 महीने, 55 परियोजनाएं 13 से 24 महीने, 87 परियोजनाएं 25-60 महीने और 89 परियोजनायें 61 महीने या उससे ज्यादा समय से पीछे चल रही हैं।
विभिन्न एजेंसियों ने देरी के लिए जो वजह गिनाई हैं उनमें भूमि अधिग्रहण, वन विभाग की अनुमति नहीं मिलना और उपकरणों की आपूर्ति में देरी प्रमुख वजह रही हैं। इसके अलावा कोष की कमी, नक्सलवादियों की घुसपैठ, कानूनी मामलों समेत कई अन्य वजह भी हैं।