नई दिल्ली। 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक के 357 इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की लागत देरी और अन्य कारणों के चलते 3.39 लाख करोड़ रुपए बढ़ चुकी है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपए और उससे अधिक के मूल्य वाली इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की निगरानी करता है।
मंत्रालय की जून, 2018 की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि 1,362 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की कुल मूल लागत 17,03,840.01 करोड़ रुपए थी। अब इन परियोजनाओं के पूरा होने की अनुमानित लागत 20,43,024.21 करोड़ रुपए हो चुकी है। इस तरह इन परियोजनाओं की लागत 19.91 प्रतिशत यानी 3,39,184.20 करोड़ रुपए बढ़ी है।
इन 1,362 परियोजनाओं में से 357 परियोजनाओं की लागत बढ़ी है, जबकि 272 परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं किया जा सका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून, 2018 तक इन परियोजनाओं पर कुल 7,86,754.10 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, जो इनकी अनुमानित लागत का 38.51 प्रतिशत बैठता है। हालांकि, इसमें कहा गया है कि देरी वाली परियोजनाओं की संख्या घटकर 198 रह गई है। यह आकलन इन परियोजनाओं को पूरा करने की ताजा समय-सीमा के हिसाब से निकाला गया है।
667 परियोजनाओं के चालू होने के वर्ष के बारे में बताया नहीं गया है। देरी वाली 272 परियोजनाओं में से 65 में एक माह से 12 माह का विलंब हुआ है। 53 परियोजनाएं 13 से 24 महीने, 74 परियोजनाएं 25 से 60 महीने और 80 परियोजनाओं में 61 महीने का विलंब चल रहा है। देरी के लिए जो वजह गिनाई गईं हैं उनमें भूमि अधिग्रहण में देरी प्रमुख वजह रही है। इसके अलावा वन विभाग की अनुमति नहीं मिलने या फिर उपकरणों की आपूर्ति में देरी भी परियोजनाओं के तय समय पर पूरा नहीं होने की वजह रही हैं।