नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद इनकम टैक्स आधार में 33 लाख नए करदाताओं को जोड़ा गया है। संसद में मंगलवार को यह खुलासा खुद सरकार ने किया। वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा को एक लिखित जबाव में बताया कि नोटबंदी के बाद आयकर दाताओं की संख्या बढ़ी है।
नवंबर-2016 से 31 मार्च 2017 तक कुल 1.96 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में 1.63 करोड़ और वित्त वर्ष 2014-15 में 1.23 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए थे। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य जीडीपी को बड़ा, स्वच्छ और वास्तविक बनाना था।
हालांकि सरकार के आंकड़ों से यह पता चलता है कि नए करदाताओं को जोड़ने की यह संख्या वित्त वर्ष 2014-15 से 2015-16 के बीच जोड़े गए नए करदाताओं की संख्या से कम है। उस साल 40 लाख अतिरिक्त रिटर्न दाखिल किए गए थे। गंगवार ने कहा कि यह कवायद (नोटबंदी) भ्रष्टाचार, काले धन, नकली मुद्रा और आतंक के वित्त पोषण को खत्म करने के सरकार के बड़े संकल्प का एक हिस्सा है।
एक अलग जवाब में मंत्री ने कहा कि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि भारत में कितना काला धन है। उन्होंने कहा कि भारत में काले धन के अनुमान का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। हालांकि नोटबंदी के बाद आयकर विभाग ने नवंबर-2016 से मार्च-2017 तक 900 समूह के लोगों की खोज की, जिसके बाद 900 करोड़ की संपत्ति और 7,961 करोड़ रुपए के अघोषित धन का खुलासा किया। मंत्री ने कहा कि 18 लाख लोगों की पहचान की गई, जिनकी बैंक में नगदी जमा करने का आंकड़ा उनके टैक्स प्रोफाइल से मेल नहीं खाता है। उन्हें इस संबंध में ईमेल/एसएमएस भेजे गए हैं।