नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर केंद्र सरकार की मुहर लगने के बाद भले ही एक करोड़ सरकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि का रास्ता साफ हो गया है, लेनिक कर्मचारी संगठन इससे खुश नहीं हैं। सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों की कम से कम सैलरी 18 हजार रुपये की गई है। जिससे यूनियन संतुष्ट नहीं है। केंद्रीय कर्मचारियों के संगठनों की नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन ने धमकी दी है कि अगर मांगें नहीं मानी गई तो 32 लाख कर्मचारी 11 जुलाई से हड़ताल पर चले जाएंगे।
रेलवे, पोस्ट और आर्डिनेंस फैक्ट्री के कर्मचारी शामिल
सरकारी कर्मचारियों के महासंघ ने हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। इनमें रेलवे, पोस्ट और सेना की ऑर्डिनेंस फैक्टरी के कर्मचारी शामिल हैं। अगर रेलवे कर्मचारी भी इस हड़ताल में शामिल होते हैं तो ये 42 साल बाद पहला मौका होगा जब रेलवे कर्मचारी हड़ताल करेंगे। यूनियन का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री ने दखल दिया तो हड़ताल वापस ली जा सकती है।
सरकार ने कहा विसंगति को दूर करेंगे
वेतन आयोग ने निचले स्तर पर मूल वेतन में 14.27 फीसदी बढ़ोतरी की सिफ़ारिश की है, जो सत्तर साल में सबसे कम बताई जा रही है। औसतन बढ़ोतरी 23.55 फ़ीसदी तक मानी जा रही है। कर्मचारी संघ 18,000 रुपये के न्यूनतम वेतन को बढ़ाने की मांग कर रहा है। उसे मौजूदा पेंशन व्यवस्था भी नामंजूर है। हालांकि वित्त मंत्री का दावा है कि अगर कोई विसंगति है तो दूर की जाएगी।
7वे वेतन आयोग में बढ़ी सैलरी या एरियर की एकमुश्त राशि का करें समझदारी से इस्तेमाल