नयी दिल्ली: लघु कृषक कृषि व्यापार सहायता-संघ (एसएफएसी) ने रविवार को कहा कि पश्चिम बंगाल समेत तीन राज्यों में करीब तीस कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) की आय एक प्रायोगिक परियोजना के चलते पिछले दो सालों के दौरान दुगनी से भी अधिक हुई है। एसएफएसी एक स्वतंत्र निकाय है । इसे केंद्रीय कृषि मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है।
एसएफएसी ने पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के तीस चुनिंदा एफपीओ की विविध प्रकार से सहायता के लिए में 2018 में ग्रांट थॉर्नटन भारत के साथ एक समझौता किया था। एसएफएसी के प्रबंध निदेशक नीलकमल दरबारी ने एक बयान में कहा, ‘‘ऋण, कृषि उत्पादन सामग्री , साझा-सुविधा और बाजार कड़ी जैसे कई मामलों में एफपीओ की मदद की गयी। इसके अलावा इन संगठनों के निदेशक मंडल (बीओडी) में कारोबार की योजनाएं बनाने की क्षमता के निर्माण और प्रशिक्षण जैसी मदद भी दी गयी । इनमें से लगभग सभी एफपीओ को कार्यशील पूंजी या ऋण सुविधा मिली हुई थी।’’
एसएफएसी के अनुसार इन हस्तक्षेपों के प्रभाव मूल्यांकन से पता चला कि 30 लक्षित एफपीओ का औसत कारोबार दो साल की अवधि में 44 लाख रुपये से बढ़कर 118 लाख रुपये प्रति वर्ष हो गया। उसने कहा कि प्रायोगिक परियोजना का उद्देश्य इन राज्यों में विभिन्न स्तरों पर काम कर रहे एफपीओ को एकत्रित और सक्रिय करना है जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो तथा वे अपनी कृषि आधारित आजीविका को स्थायी रूप से मजबूत कर सके।