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Revealed: एयरलाइंस के कार्टेलाइजेशन पर CCI ने लगाया 257 करोड़ का जुर्माना, कंपनियां देंगी चुनौती

कार्गो ट्रांसपोर्ट के लिए साठगांठ कर फ्यूल सरचार्ज तय करने पर CCI ने तीन एयरलाइन कंपनियों पर कुल 257.91 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।

Abhishek Shrivastava
Updated : November 18, 2015 14:22 IST
Revealed: एयरलाइंस के कार्टेलाइजेशन पर CCI ने लगाया 257 करोड़ का जुर्माना, कंपनियां देंगी चुनौती
Revealed: एयरलाइंस के कार्टेलाइजेशन पर CCI ने लगाया 257 करोड़ का जुर्माना, कंपनियां देंगी चुनौती

नई दिल्‍ली। भारतीय प्रतिस्‍पर्धा आयोग (CCI) ने तीन एयरलाइन कंपनियों पर कुल 257.91 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। आयोग ने मंगलवार को बताया कि यह जुर्माना ट्रांसपोर्टिंग कार्गो के लिए फ्यूल सरचार्ज तय करने और संशोधित करने के लिए तीनों कंपनियों द्वारा साठगांठ करने की वजह से लगाया गया है। सीसीआई ने यह जुर्माना पिछले तीन वित्‍त वर्षों के औसत सालाना टर्नओवर के एक फीसदी के बराबर लगाया है। तीनों एयरलाइंस ने सीसीआई के इस आदेश को कानूनी चुनौती  देने की बात कही है।

सीसीआई ने अपने आदेश में कहा है कि जेट एयरवेज(इंडिया) लिमिटेड, इंटरग्‍लोब एविएशन लिमिटेड, स्‍पाइसजेट लिमिटेड, एयर इंडिया लिमिटेड और गो एयरलाइंस (इंडिया) लिमिटेड ने फ्यूल सरचार्ज दरों को तय करने में समानांतर मिलीभगत की है। जांच में यह पाया गया है कि इस तरह के आचरण के परिणामस्‍वरूप परोक्षरूप से एयर कार्गो परिवहन की दरों का निर्धारण करना अधिनियम के प्रावधानों का उल्‍लंघन है। एक्‍सप्रेस इंडस्‍ट्री काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसकी शिकायत की थी।

सीसीआई ने इस अपराध के लिए जेट एयरवेज पर सबसे ज्‍यादा 151.69 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। इंटरग्‍लोब एविएशन पर 63.74 करोड़ और स्‍पाइसजेट पर 42.48 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। हालांकि, सीसीआई ने एयर इंडिया और गो एयरलाइंस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया है। सीसीआई ने अपने आदेश में कहा है कि एयर इंडिया पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया क्योंकि जांच में इसका आचरण अन्य विमानन कंपनियों के समान नहीं पाया गया। इसी तरह, गो एयरलाइंस पर भी कोई जुर्माना नहीं लगाया गया क्योंकि उसने कार्गो का परिचालन थर्ड पार्टी वेंडर को दे रखा है और कार्गो परिचालन के किसी भी कमर्शियल या आर्थिक पहलू पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।

तीनों कंपनियां देंगी चुनौती

जेट एयरवेज का मानना है कि यह प्रतिस्पर्धा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है और कंपनी अपने फैसले के बचाव में हर तरह की उपलब्ध कानूनी पहलों का अनुपालन करेगी। इंटरग्लोब एविएशन ने नियामकीय जानकारी में बताया कि कंपनी भारतीय प्रस्पिर्धा आयोग के ऑर्डर का अध्ययन कर रही है और उचित मंच पर इसे चुनौती देने के लिए कानूनी पहल करेगी। कंपनी ने कहा कि उसे बताया गया है कि यह प्रतिस्पर्धा कानून 2002 के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है।  स्पाइसजेट ने भी कहा कि वह पड़ताल के बाद पहल करेगी, जिसमें आदेश को चुनौती देना शामिल होगा।


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