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GST पर FAQ जारी, ई-कॉमर्स कंपनियों और एप टैक्‍सी सर्विस प्रोवाइडर्स को कराना होगा रजिस्‍ट्रेशन

अगले साल अप्रैल से जीएसटी को क्रियान्वित करने की तैयारियों के सिलसिले में सीबीईसी ने आज बार-बार पूछे जाने वाले सवालों के जवाब (एफएक्यू) जारी किए।

Abhishek Shrivastava
Updated : September 21, 2016 22:14 IST
GST पर FAQ जारी, ई-कॉमर्स कंपनियों और एप टैक्‍सी सर्विस प्रोवाइडर्स को कराना होगा रजिस्‍ट्रेशन
GST पर FAQ जारी, ई-कॉमर्स कंपनियों और एप टैक्‍सी सर्विस प्रोवाइडर्स को कराना होगा रजिस्‍ट्रेशन

नई दिल्ली। अगले साल अप्रैल से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को क्रियान्वित करने की तैयारियों के सिलसिले में केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने आज बार-बार पूछे जाने वाले सवालों के जवाब (एफएक्यू) जारी किए। इसमें ई-कॉमर्स कंपनियों तथा एप आधारित टैक्सी सेवा देने वाली कंपनियों पर टैक्‍स का ब्योरा भी दिया गया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा जारी 268 पृष्ठ के इस एफएक्यू में 24 विषयों पर करीब 500 सवालों के जवाब दिए गए हैं। इनमें रजिस्‍ट्रेशन, मूल्यांकन और भुगतान, दायरा और आपूर्ति का समय, रिफंड, जब्ती तथा गिरफ्तारी से संबंधित सवालों के जवाब हैं।

  • ओला जैसी एप आधारित टैक्सी सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को रजिस्‍ट्रेशन कराना होगा और उनके लिए छूट की कोई सीमा नहीं होगी।
  • फ्लिपकार्ट और आमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को भी जीएसटी के तहत रजिस्‍ट्रेशन कराने की जरूरत होगी चाहे उनके द्वारा की गई आपूर्ति का मूल्य कुछ भी हो।
  • टाइटन सहित, अपनी वेबसाइट के जरिये घडि़यां और आभूषण बेचने वाली कंपनियों को ई-कॉमर्स परिचालक नहीं माना जाएगा।
  • यदि कर चोरी ढाई करोड़ रुपए से अधिक है तो इसमें जुर्माने के साथ पांच साल तक की जेल हो सकती है।
  • यदि कर चोरी 50 लाख से ढाई करोड़ रुपए के बीच है तो तीन साल की जेल की सजा हो सकती है।
  • यदि कर चोरी 25 से 50 लाख रुपए के बीच है तो एक साल की जेल हो सकती है।
  • ऐसे सभी अपराध जहां कर चोरी ढाई करोड़ रुपए से अधिक होगी उसे संज्ञेय अपराध माना जाएगा और यह गैर जमानती होगा।

जीएसटीएन का मौजूदा रूप राज्‍यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की मंजूरी तथा केंद्र सरकार के गहन विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है। मौजूदा ढांचे के तहत जीएसटीएन में केंद्र और राज्य सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी होगी। वहीं शेष 51 फीसदी हिस्सेदारी संयुक्त रूप से एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एनएसई स्ट्रैटिजिक इन्वेस्टमेंट कंपनी (सभी के पास 10-10 फीसदी) तथा एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के पास (11 फीसदी) है।

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