नई दिल्ली। बजट में फिसकल कंसोलीडेशन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को उदार मौद्रिक रुख अपनाने में मदद मिलेगी, लेकिन नीतिगत दरों में कटौती अगले हफ्ते होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा के बजाये अप्रैल में होने की उम्मीद है। यह बात एक रिपोर्ट में कही गई है।
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी सिटीग्रुप के मुताबिक आरबीआई की रेपो रेट में कटौती करने के समय में अभी भी अनिश्चितता है, लेकिन निकट भविष्य में नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी कटौती की संभावना है।
- सिटीग्रुप ने अपने रिसर्च नोट में कहा है कि कम राजकोषीय घाटे का लक्ष्य और बाजार उधारी कम रखने से दरों में कटौती के लिए सकारात्मक है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि दरों में कटौती की संभावना सीमित है, लेकिन फरवरी के बजाये अप्रैल में 0.25 फीसदी कटौती की संभावना अधिक है।
- 7 दिसंबर को केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया था।
- नोटबंदी के बाद मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान को भी आधा फीसदी घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया था।
- आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा 8 फरवरी को होगी।
- बजट में 2017-18 के दौरान राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा गया है, जो 2016-17 में 3.5 प्रतिशत है।
- फिसकल रिस्पॉन्सेबिल्टी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) कमेटी ने सुझाव दिया है कि डेट-टू-जीडीपी अनुमान को प्रमुख गणक बनाया जाए।
- कमेटी चाहती है कि इसे 2023 तक जीडीपी के 60 फीसदी से नीचे लाया जाए।