नई दिल्ली। देश की तमाम बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, जबोंग, मिंत्रा, जंगली (अमेजन की सब्सिडियरी), येपमी, शॉपक्लूज, इंफीबीम समेत कुल 21 कंपनियां प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के घेरे में आ गई हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को ईडी को आदेश दिया है कि वह यह जांच करे कि इन कंपनियों ने विदेशी फंड का अपने बिजनेस में उपयोग कर कहीं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया है।
हाई कोर्ट जूता कारोबारियों द्वारा दर्ज शिकायत पर सुनवाई कर रहा है और इसी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी को यह आदेश दिया है। कारोबारियों ने तर्क दिया है कि सरकार ने रिटेल सेक्टर में विदेशी पूंजी को प्रतिबंधित कर रखा है और ई-कॉमर्स कंपनियां विदेशी धन के उपयोग से रिटेलिंग कारोबार कर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन कर रही हैं। ऑल इंडिया फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड रिटेलर्स एसोसिएशन के वकील ऋषी अग्रवाल ने बताया कि कोर्ट ने 21 ई-कॉमर्स कंपनियों की जांच के आदेश दिए हैं और सरकार को 21 दिसंबर तक रिपोर्ट और जवाबी हलफनामा कोर्ट के समक्ष पेश करने के लिए कहा है।
भारत सरकार ने बिजनेस-टू-कंज्यूमर (बी2सी) और मल्टी-ब्रांड ई-कॉमर्स में एफडीआई पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन बिजनेस-टू-बिजनेस(बी2बी) सेगमेंट में 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति है। इस माह के शुरुआत में सरकार ने सिंगल-ब्रांड रिटेलर्स को ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति दी है।
ईडी इन कंपनियों की करेगा जांच
फ्लिपकार्ट(flipkart), स्नैपडील(snapdeal), जबोंग(jabong), येपमी(yepme), शॉपक्लूज(shopclues), होमशॉप 18(homeshop18), जोवी(zovi), फैशनएंडयू(fashionandyou), मिंत्रा(myntra), लाइमरोड(limeroad), फैशओस (fashos), वूनिक(voonik), फर्स्टक्राय(firstcry), इंफीबीम(infibeam), अमेरिकनस्वान(americanswan), हीलएंडबकल(heelandbuckle), फैशनआरा(fashionara), एलीटीफाय(elitify), जंगली(junglee), डारवेस(darveys) और फामोजी(famozi)।
कंपनियों ने किया सबकुछ सही होने का दावा
स्नैपडील, फ्लिपकार्ट और अमेजन इंडिया ने कहा है कि वह एक मार्केटप्लेस का संचालन करती हैं, जहां वेंडर्स ग्राहकों को अपना सामान बेचते हैं, कंपनियां स्वयं सीधे ग्राहकों को कोई उत्पादन नहीं बेचती हैं। अमेजन लगातार यह कहती रही है कि वह जितने देशों में भी उपस्थित है, वहां वह कानून के तहत काम कर रही है। स्नैपडील के एक प्रवक्ता ने कहा कि वह टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराते हैं, जो विक्रेता को अपने ग्राहकों से सीधे जुड़ने में मदद करता है और यह सारी गतिविधयां कानून के दायरे में रहकर संचालित की जा रही हैं।
रिटेलर्स ने खोला ई-कॉमर्स के खिलाफ मोर्चा
देश के पारंपरिक रिटेलर्स का आरोप है कि ई-कॉमर्स कंपनियां विदेशों से अरबों डॉलर की राशि जुटा रही हैं और यह एफडीआई नियमों का खुला उल्लंघन है। उनका यह भी आरोप है कि कुछ कंपनियां अपने आप को मार्केटप्लेस बता रही हैं लेकिन वास्तव में वह खुद रिटेलिंग कर रही हैं। पिछले कुछ सालों में रिटेलर्स ने ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ अपना विरोध तेज किया है और उन्होंने सरकार से एक-समान अवसरों की मांग की है। उनका कहना है कि ई-कॉमर्स कंपनियां विदेशी निवेश की मदद से ग्राहकों को भारी डिस्काउंट देकर अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।
तेजी से बढ़ रहा है ई-कॉमर्स का बाजार
भारत में ई-कॉमर्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने इस महीने के शुरुआत में एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि भारत का ई-कॉमर्स बाजार 2025 तक ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (जीएमवी) के आधार पर 200 अरब डॉलर का हो जाएगा। देश की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने हाल ही में विदेशों से अच्छी रकम हासिल की है। जुलाई में फ्लिपकार्ट ने टाइगर ग्लोबल और स्टीडव्यू कैपिटल समेत कई निवेशकों से 70 करोड़ डॉलर की राशि जुटाई है, इसके बाद इसकी वैल्यूएशन 15 अरब डॉलर की हो गई है। अगस्त में स्नैपडील ने फॉक्सकॉन और अलीबाबा ग्रुप से 50 करोड़ डॉलर की राशि जुटाई है। स्नैपडील के सबसे बड़े हिस्सेदार सॉफ्टबैंक ने इसकी वैल्यूएशन 4 से 4.5 अरब डॉलर आंकी है।