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2018-19 का बजट लोकलुभावन होने की संभावना नहीं : रातिन रॉय

रातिन रॉय ने उम्मीद जतायी है कि आने वाला 2018-19 का बजट ‘लोकलुभावन’ नहीं होगा। यह सरकार के व्यय गुणवत्ता सुधार की प्रतिबद्धता को दिखाने वाला होगा।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: December 10, 2017 11:59 IST
2018-19 budget not likely to be populist says PMEAC member- India TV Paisa
2018-19 budget not likely to be populist says PMEAC member

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रातिन रॉय ने उम्मीद जतायी है कि आने वाला 2018-19 का बजट ‘लोकलुभावन’ नहीं होगा। यह सरकार के व्यय गुणवत्ता सुधार की प्रतिबद्धता को दिखाने वाला होगा। रॉय ने कहा कि सरकार एक और अच्छा बजट लेकर आएगी, जिसे एक फरवरी को पेश किए जाने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि किसी भी तरह के लोकलुभावन बजट की जगह है। मेरा मानना है कि सरकार एक जिम्मेदार बजट लेकर आएगी, जो सरकार की व्यय की गुणवत्ता और प्रतिबद्धता में सुधार को दिखाएगा।’’

रातिन राय ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि सरकार बजट का इस्तेमाल लोकलुभावन योजनाओं के लिए करेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि राजनीतिक नेतृत्व इस बात को समझेगा।’’ उल्लेखनीय है कि सरकार के 2018-19 का आम बजट अगले साल एक फरवरी को पेश करने की संभावना है। यह पूछे जाने पर कि अगले 18 महीनों में सुधार का एजेंडा क्या होगा, रॉय ने कहा कि मोदी सरकार को पिछले तीन साल में लाए गए अपने आर्थिक सुधारों पर ही ध्यान देना चाहिए। रॉय आर्थिक थिंक टैंक एनआईपीएफपी के भी सदस्य हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कई सुधार शुरु किए गए हैं, इन्हें पूरा होने में वक्त मिलेगा। तो ऐसे में नए सुधार शुरु करने के बजाय सरकार को दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) इत्यादि जैसे इन्हीं सुधारों को पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए।’’

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार का कार्यकाल मई 2014 में शुरु हुआ था और अगले चुनाव वर्ष 2019 में होने हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत दरों से जुड़े फैसले पर रॉय ने कहा कि वह मौद्रिक नीति समिति के निर्णय का पूरी तरह सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने ब्याज दरों को नीचे आने का दौर भी देखा है। यह हमेशा बेहतर होता है लेकिन हमें अपनी बचत को भी ध्यान में रखना होगा।’’ देश के संपूर्ण वृहद आर्थिक परिदृश्य के बारे में रॉय ने कहा कि आठ प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर पाने के लिए भारत को सुधारों की लंबी प्रक्रिया से गुजरना है।

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